अब रुपये का 'बॉस' नहीं रहेगा डॉलर, विदेशी लेनदेन भी भारतीय मुद्रा में होगा, कैसे काम करेगा आरबीआई का नया सिस्टम?
डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 79.45 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक चला गया है.
डॉलर के मुकाबले रुपये में आती कमजोरी को थामने के साथ व्यापार के मोर्चे पर अमेरिकी बादशाहत को चुनौती देने के लिए रिजर्व . अधिक पढ़ें
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- Last Updated : July 12, 2022, 11:34 IST
हाइलाइट्स
भारत अपने आयात-निर्यात का सेटलमेंट रुपये में कर सकेगा.
नया सिस्टम फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के तहत बनाया जा रहा है.
भारत में अधिकृत बैंकों को वॉस्ट्रो खाते खोलने की इजाजत दी गई है.
नई दिल्ली. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के साथ ही भारतीय मुद्रा पर अमेरिकी डॉलर का दबाव भी बढ़ने लगा. ग्लोबल मार्केट में तमाम प्रतिबंधों के बाद हालात ये बन गए कि डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर चला गया. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस समस्या से निपटने के लिए नया सिस्टम विकसित कर रहा है.
आरबीआई ने बताया है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार भी रुपये में करने के लिए नया सिस्टम बनाया जा रहा है. डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में लगातार आ रही गिरावट और दुनिया की रुपये में बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए नया सिस्टम विकसित किया जा रहा है. इसके बाद भारत अपने आयात-निर्यात का सेटलमेंट रुपये में कर सकेगा और ग्लोबल ट्रेडिंग सिस्टम में डॉलर व अमेरिका का दबाव खत्म हो जाएगा.
अब नहीं होगा प्रतिबंधों का असर
आरबीआई का नया सिस्टम शुरू होने के बाद भारत पर अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का असर खत्म हो जाएगा. ऐसा कई बार हुआ है जब अमेरिका ने किसी देश पर प्रतिबंध लगाया है और भारत को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा है. ईरान से तनातनी के बीच जब अमेरिका ने उस पर प्रतिबंध लगाया तो भारत को इरान से कच्चा तेल खरीदने में काफी मुश्किल आई. इसी तरह, रूस-यूक्रेन के हालिया युद्ध की वजह से जब अमेरिका, यूरोप ने रूस पर प्रतिबंध लगाए तो भारतीय कंपनियां भी रूस के उत्पाद खरीदने में नाकाम रहीं.
इन प्रतिबंधों का भारत पर असर इसलिए ज्यादा होता था, क्योंकि ग्लोबल मार्केट में डॉलर में ही व्यापार का लेनदेन किया जाता है और प्रतिबंधों के कारण अमेरिकी डॉलर में लेनदेन भी बंद हो जाता है. इन परेशानियों से निजात पाने के लिए ही आरबीआई ग्लोबल मार्केट में सीधे रुपये में ट्रेडिंग का सिस्टम तैयार कर रहा है.
फॉरेक्स मार्केट से तय होगी दर
आरबीआई ने कहा है कि नया सिस्टम फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के तहत बनाया जा रहा है. इससे विदेश में होने वाले आयात और निर्यात के सभी सेटलमेंट रुपये में किए जा सकेंगे. रुपये की कीमत संबंधित देश की मुद्रा के ग्लोबल फॉरेक्स मार्केट में चल रहे भाव के आधार की तय की जाएगी और सौदे का सेटलमेंट भारतीय मुद्रा में ही किया जाएगा.
खोले जाएंगे विशेष खाते
रिजर्व बैंक के अनुसार, नया सिस्टम लागू करने के लिए भारत में अधिकृत बैंकों को वॉस्ट्रो खाते खोलने की इजाजत दी गई है. अब भारत का अधिकृत बैंक व्यापार से जुड़े देश के बैंक के साथ मिलकर रुपये का वॉस्ट्रो खाता खोल सकेगा. इससे भारतीय आयातकों और विदेशी सप्लायर्स का सेटलमेंट रुपये में हो सकेगा. इसी तरह, भारतीय निर्यातकों को संबंधित देश के बैंकों की ओर से खोले गए विशेष वॉस्ट्रो खाते से भुगतान किया जाएगा.
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रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, जानिए इससे कैसे होगा फायदा
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, एक जनवरी को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) 4.483 अरब डॉलर बढ़कर सर्वकालिक ऊंचाई पर पहुंच गया। इसने 585.324 अरब डॉलर के स्तर पर है। जबकि इससे पिछले 25 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2900 लाख डॉलर की गिरावट के साथ 580.841 अरब डॉलर हो गया था।
इसलिए आई तेजी
समीक्षाधीन अवधि में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में भारी वृद्धि के कारण मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती है। रिजर्व बैंक के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार समीक्षावधि में एफसीए 4.168 अरब डॉलर बढ़कर 541.642 अरब डॉलर हो गईं। एफसीए को दर्शाया डॉलर में जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पाउंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्राएं भी शामिल होती है।
37.026 अरब डॉलर हो गया स्वर्ण भंडार
आंकड़ों के अनुसार एक जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान देश का स्वर्ण भंडार का मूल्य 3150 लाख डॉलर बढ़कर 37.026 अरब डॉलर रह गया। देश को अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष (आईएमएफ) में मिला विशेष आहरण अधिकार 1.510 करोड़ डॉलर पर समान है। आईएमएफ के पास देश के भंडार की स्थिति भी पिछले हफ्ते के समान 5.145 अरब डॉलर पर रही।
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार?
विदेशी मुद्रा भंडार देश के केंद्रीय बैंकों द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है। इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
आइए जानते हैं इसके फायदे।
- साल 1991 में देश को पैसा जुटाने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था। तब सिर्फ 40 करोड़ डॉलर के लिए भारत को 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति सरलता से की जा सकती है, जो इसका सबसे बड़ा फायदा है।
- अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है। इससे वैश्विक निवेशक देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।
- सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय बी ले सकती है क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है।
- इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावी भूमिका निभा सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, एक जनवरी को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) 4.483 अरब डॉलर बढ़कर सर्वकालिक ऊंचाई पर पहुंच गया। इसने 585.324 अरब डॉलर के स्तर पर है। जबकि इससे पिछले 25 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2900 लाख डॉलर की गिरावट के साथ 580.841 अरब डॉलर हो गया था।
इसलिए आई तेजी
समीक्षाधीन अवधि में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में भारी वृद्धि के कारण मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती है। रिजर्व बैंक के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार समीक्षावधि में एफसीए 4.168 अरब डॉलर बढ़कर 541.642 अरब डॉलर हो गईं। एफसीए को दर्शाया डॉलर में जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पाउंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्राएं भी शामिल होती है।
37.026 अरब डॉलर हो गया स्वर्ण भंडार
आंकड़ों के अनुसार एक जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान देश का स्वर्ण भंडार का मूल्य 3150 लाख डॉलर बढ़कर 37.026 अरब डॉलर रह गया। देश को अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष (आईएमएफ) में मिला विशेष आहरण अधिकार 1.510 करोड़ डॉलर पर समान है। आईएमएफ के पास देश के भंडार की स्थिति भी पिछले हफ्ते के समान 5.145 अरब डॉलर पर रही।
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार?
विदेशी मुद्रा भंडार देश के केंद्रीय बैंकों द्वारा रखी गई विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बनें धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है। इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
Explainer: रुपये में ग्लोबल ट्रेड की मंजूरी से क्या डॉलर के दबदबे पर कोई फर्क पड़ेगा? भारत को कैसे होगा फायदा
Rupees vs Dollar: RBI का कहना है कि ग्लोबल ट्रेड ग्रोथ में भारत से एक्सपोर्ट को प्रमोट करने और ग्लोबल कारोबारी कम्युनिटी का विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बनें रुपये में बढ़ते इंटरेस्ट को सपोर्ट करने के लिए यह कदम उठाया गया है.
रिजर्व बैंक रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए मैकेनिज्म लेकर आया है. (Representational Image)
RBI big move on Indian Rupees: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए रुपये में विदेशी व्यापार करने की इजाजत दे दी है. रिजर्व बैंक रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए मैकेनिज्म लेकर आया है, जिसके तहत अब एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट का सेटलमेंट रुपये में हो सकेगा. RBI ने नोटिफिकेशन जारी कर इसकी डीटेल जानकारी दी है. आरबीआई का कहना है कि ग्लोबल ट्रेड ग्रोथ में भारत से एक्सपोर्ट को प्रमोट करने और ग्लोबल कारोबारी कम्युनिटी का रुपये में बढ़ते इंटरेस्ट को सपोर्ट करने के लिए यह कदम उठाया गया है. रिजर्व बैंक के इस कदम के बाद अहम सवाल यह भी है कि क्या रुपये में विदेशी व्यापार की मंजूरी का अमेरिकी डॉलर की पोजिशन पर कुछ फर्क पड़ेगा? साथ ही इस कदम से भारत के ट्रेड को कैसे फायदा होगा.
बना रहेगा डॉलर का दबदबा
आनंद राठी सिक्युरिटीज के चीफ इकोनॉमिस्ट सुजान हजरा का कहना है, रिजर्व बैंक के इस कदम से नियर टर्म में भारत को फॉरेन एक्सचेंज की कमी झेल रहे कई इमर्जिंग देशों के साथ व्यापार करने में सहूलियत होगी. साथ ही यह उस प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रुपये को एक महत्वपूर्ण करेंसी बनाने की कोशिश कर रहा है. जहां तक बात डॉलर के दबदबे को लेकर है, तो इस कदम से हाल-फिलहाल फॉरेन ट्रेड के लिए प्रमुख करेंसी के रूप में अमेरिकी डॉलर की पोजिशन में कोई बदलाव आने की संभावना नहीं है.
उनका कहना है, यह कदम ट्रेड पार्टनर्स के बीच भारतीय रुपये की स्वीकार्यता बढ़ाने की प्रक्रिया का हिस्सा है. हाल के दिनों में हमने चीन की ओर से अपनी करेंसी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा स्वीकार्य बनाने के लिए अलग-अलग उपायों को देखा है. इस तरह की पहल के जरिए भारत भी यही कोशिश कर रहा है.
HDFC बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट अभीक बरूआ का कहना है, रुपये को इंटरनेशल ट्रेड सेटलमेंट की मंजूरी से डॉलर की पोजिशन पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. भारतीय रुपये में अभी इतनी ताकत नहीं है कि वह इंटरनेशनल पेमेंट को ज्यादा प्रभावित कर सके. इससे पहले, चीन ने भी यह कोशिश की है, लेकिन वो भी बहुत सफल नहीं हुआ.
बरूआ का कहना है, यूरो जैसी मजबूत करेंसी में भी इंटरनेशनल ट्रेड की ज्यादा बिलिंग अभी नहीं होती है. ऐसे में मुझे नहीं लगता कि इसका ज्यादा फर्क पड़ेगा. इस मूव का फायदा यह होगा कि हम रूस और कुछ अन्य ट्रेड पार्टनर के साथ घरेलू करेंसी में ट्रेड कर सकेंगे. इसे हमें डॉलर डॉमिनेंस से नहीं जोड़ना चाहिए, क्योंकि इसका कोई असर नहीं होगा.
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RBI के इस मैकेनिज्म से भारत को क्या लाभ?
सुजान हजरा कहते हैं, हाल के समय में कुछ इमर्जिंग मार्केट फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व की कमी से जूझ रहे हैं, ऐसे में इन देशों के साथ भारत का व्यापार प्रभावित हो सकता है. आरबीआई की ओर से रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट को मंजूरी दिए जाने से कुछ हद तक स्थिति में बदलाव आ सकता है. बायलेटरल ट्रेड बैलेंस के नेट सेटलमेंट का एक मैकेनिज्म आने वाले समय में इस प्रक्रिया को और सुविधाजनक बना सकता है. उनका कहना है, रुपये में इनवॉयस और पेमेंट से ट्रांजैक्शन कॉस्ट और फॉरेन करेंसी में ट्रांजैक्शन से जुड़े मार्केट रिस्क भी कम होंगे.
अभीक बरूआ का कहना है, आरबीआई के इस कदम से कई सारे देशों के साथ ट्रेड भारतीय करेंसी में हो सकते हैं. जैसे, अभी रूस में डॉलर पेमेंट पर रोक लगी है. ऐसे में अगर रुपये में सेटलमेंट शुरू होता है, तो इस तरह के रिस्क वाले काफी ट्रेड आसानी से हो सकते हैं. इस मैकेनिज्म के बाद भारत- रूस के साथ ट्रेड सेटलमेंट में दिक्कत नहीं होगी.
क्या है RBI का मैकेनिज्म?
RBI के नोटिफिकेशन के मुताबिक, रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए ऑथराइज्ड डीलर (AD) को RBI से अनुमति लेनी होगी. विदेशी मुद्रा अधिनियम कानून 1999 के तहत विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बनें रुपये में इनवॉयस की व्यवस्था होगी. जिस देश के साथ कारोबार होगा, उसकी मुद्रा और रुपये की कीमत बाजार आधारित होगी.
नोटिफिकेशन के मुताबिक, रुपये में भी सेटलमेंट के नियम दूसरी करेंसीज की तरह ही होंगे. एक्सपोर्टर्स को रुपये की कीमत में मिले इनवॉयस के बदले एडवांस भी मिल सकेगा. वहीं, कारोबारी लेनदेन के बदले बैंक गारंटी के नियम भी FEMA (Foreign Exchange Management Act- 1999) के तहत कवर होंगे. नोटिफिकेशन के मुताबिक, ट्रेड सेटलमेंट के लिए संबंधित बैंकों को पार्टनर कारोबारी देश के AD बैंक के स्पेशल रुपया वोस्ट्रो (VOSTRO) अकाउंट की जरूरत होगी.
Forex Reserves: लगातार पांचवें हफ्ते बढ़ा देश का खजाना, जानें कितना है गोल्ड रिजर्व
Foreign Exchange Reserve: देश का विदेशी मुद्रा भंडार नौ दिसंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 2.91 अरब डॉलर बढ़कर 564.06 अरब . अधिक पढ़ें
- पीटीआई
- Last Updated : December 17, 2022, 06:15 IST
हाइलाइट्स
विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार पांचवें हफ्ते तेजी
विदेशी मुद्रा भंडार 2.91 अरब डॉलर बढ़कर 564.06 अरब डॉलर पर.
गोल्ड रिजर्व का मूल्य 29.6 करोड़ डॉलर घटकर 40.729 अरब डॉलर पर.
नई दिल्ली. देश के खजाने को लेकर एक खुशखबरी सामने आई है. दरअसल, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves/Forex Reserves) में फिर तेजी आई है. 9 दिसंबर, 2022 को खत्म हुए सप्ताह के दौरान यह 2.91 अरब डॉलर बढ़कर 564.06 अरब डॉलर पर पंहुच गया. भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई (RBI) की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है.
विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार पांचवें हफ्ते तेजी आई है. पिछले सप्ताह देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 11 अरब डॉलर बढ़कर 561.16 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. गौरतलब है कि अक्टूबर, 2021 में विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था.
3.141 अरब डॉलर बढ़ी एफसीए
आरबीआई के साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, 9 दिसंबर को खत्म हुए सप्ताह में फॉरेन करेंसी एसेट यानी एफसीए (Foreign Currency Assets) 3.141 अरब डॉलर बढ़कर 500.125 अरब डॉलर हो गईं. एफसीए असल में समग्र भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है. डॉलर में बताई जाने वाली एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखी यूरो, पाउंड और येन जैसी दूसरी विदेशी मुद्राओं के मूल्य में वृद्धि या कमी का प्रभाव भी शामिल होता है.
गोल्ड रिजर्व में गिरावट
इसके अलावा गोल्ड रिजर्व का मूल्य रिपोर्टिंग वीक में 29.6 करोड़ डॉलर घटकर 40.729 अरब डॉलर रह गया. आंकड़ों के अनुसार, स्पेशल ड्राइंग राइट (SDR) 6.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.106 अरब डॉलर हो गया. रिपोर्टिंग वीक में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) में रखा देश का मुद्रा भंडार भी 20 लाख डॉलर बढ़कर 5.11 अरब डॉलर हो गया.
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Stock Market Update : वैश्विक बाजारों में मजबूती से शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स, निफ्टी में तेजी, डॉलर के मुकाबले टूटा रुपया
Stock Market Update : वैश्विक बाजारों में मजबूती से शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स, निफ्टी में तेजी दर्ज की गई है. वहीं, डॉलर के मुकाबले रुपये में 4 पैसे की कमजोरी आई है.
Updated: December 14, 2022 11:23 AM IST
Sensex Today : वैश्विक बाजारों में मजबूती के बीच घरेलू शेयर बाजारों में पिछले सत्र की तेजी बुधवार को भी बनी रही और शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स तथा निफ्टी ने बढ़त दर्ज की.
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इस दौरान बीएसई का 30 शेयरों वाला सूचकांक 250.14 अंक की तेजी के साथ 62,783.44 अंक पर पहुंच गया. व्यापक एनएसई निफ्टी 75.5 अंक बढ़कर 18,683.50 अंक पर था.
सेंसेक्स में पॉवर ग्रिड, विप्रो, टेक महिंद्रा, एनटीपीसी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, लार्सन एंड टूब्रो तथा भारतीय स्टेट बैंक बढ़ने वाले प्रमुख शेयरों में शामिल थे.
दूसरी ओर भारती एयरटेल के शेयरों में गिरावट हुई.
पिछले कारोबारी सत्र में, मंगलवार को बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स 402.73 अंक यानी 0.65 प्रतिशत की बढ़त के साथ 62,533.30 अंक पर बंद हुआ था. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 110.85 अंक यानी 0.60 प्रतिशत की बढ़त के साथ 18,608 अंक पर बंद हुआ था.
अन्य एशियाई बाजारों में सियोल, तोक्यो, शंघाई और हांगकांग के बाजारों में तेजी थी. अमेरिकी बाजार भी मंगलवार को बढ़त के साथ बंद हुए थे.
अंतरराष्ट्रीय तेल सूचकांक ब्रेंट क्रूड 0.20 प्रतिशत गिरकर 80.51 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था.
शेयर बाजार के अस्थाई आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को शुद्ध रूप से 619.92 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे.
डॉलर के मुकाबले रुपया चार पैसे टूटा
विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर की मजबूती और निवेशकों की जोखिम से बचने की प्रवृत्ति के बीच रुपया बुधवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले चार पैसे की गिरावट के साथ 82.64 के स्तर पर आ गया.
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि घरेलू शेयर बाजारों में तेजी से घरेलू मुद्रा को मजबूती मिली.
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनियम बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 82.60 पर खुला, फिर और गिरावट के साथ 82.64 के स्तर पर आ गया जो पिछले बंद भाव के मुकाबले चार पैसे की गिरावट को दर्शाता है.
शुरुआती सौदों में रुपया 82.60-82.65 के सीमित दायरे में कारोबार कर रहा था.
रुपया मंगलवार को डॉलर के मुकाबले 9 पैसे टूटकर 82.60 पर बंद हुआ था.
इसबीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.11 प्रतिशत की बढ़त के साथ 104.09 पर आ गया.
वैश्विक तेल सूचकांक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.33 फीसदी की गिरावट के साथ 80.41 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर आ गया.
(With agency inputs)
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