आरबीआई ने हाल ही में घोषणा की है कि वह विदेशी मुद्रा की आवक बढ़ाने के उपाय कर रहा है। इस क्रम में बैंकों को अनिवासी भारतीयों से जमा जुटाने की शर्तें ​शि​थिल की गईं। इतना ही नहीं डेट बाजार में एफपीआई को और लचीलापन प्रदान करने के अलावा घरेलू कंपनियों को विदेशों से उदार शर्त पर ऋण जुटाने की अनुमति दी गई। हो सकता है कि इन उपायों से आवक तत्काल न बढ़े लेकिन कुल मिलाकर इससे यही संकेत निकलता है कि भारत ऋण लेना चाहता है। भले ही ऐसा अल्पाव​धि में किया जाए। इसका लक्ष्य राजस्व और मुद्रा को मजबूत बनाना है।

रुपये में कमजोरी से गिरा विदेशी मुद्रा भंडार, एक्सचेंज रेट से 67 प्रतिशत तक आई गिरावट: RBI

अमेरिकी महंगाई से तेजी चरमराई

भारतीय इक्विटी बाजारों में बुधवार को भारी उतार-चढ़ाव देखा गया, विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता सबसे बड़ी चिंता क्योंकि अगस्त के लिए अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़े ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ज्यादा आक्रामक दर वृद्धि की आशंका बढ़ा दी है। इन चिंताओं के बीच, सेंसेक्स करीब दो प्रतिशत की कमजोरी के साथ खुला, लेकिन दोपहर तक बाजार काफी हद तक संभलने में सफल रहा। दिन के कारोबार में, सेंसेक्स 1,232 अंक गिर गया था, क्योंकि वैश्विक बाजारों के जोखिम को देखते हुए निवेशकों में चिंता बढ़ गई। उन्हें यह भी आशंका सताने लगी कि क्या भारतीय बाजार भी विदेशी बाजारों के जोखिम की चपेट में आने से बच पाएंगे या नहीं।

सेंसेक्स आखिर में 224 अंक या 0.37 प्रतिशत की गिरावट के साथ 60,347 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 66 अंक या 0.37 प्रतिशत की गिरावट के साथ 18,004 पर बंद हुआ। एक दिन पहले ही, सूचकांक ने मंगलवार को करीब आठ महीने में अपना सर्वाधिक ऊंचा स्तर बनाया और हमेशा के अपने नए ऊंचे विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता सबसे बड़ी चिंता स्तर से करीब दो प्रतिशत दूर रह गया।

रिजर्व बैंक ने किया है मुद्रा का बेहतर प्रबंधन

भारत जैसे बड़े और उभरते बाजार वाले देश के लिए मुद्रा प्रबंधन एक पेचीदा काम है क्योंकि यहां चालू खाते का घाटा (सीएडी) निरंतर बना रहता है। चूंकि भारत शेष विश्व से बड़े पैमाने पर पूंजी जुटाता है इसलिए वै​श्विक वित्तीय परि​स्थितियों में अचानक बदलाव काफी अ​स्थिरता पैदा करने वाला हो सकता है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए सतर्क रहना जरूरी है।

मुद्रा प्रबंधन की जटिलता का आकलन बीते वर्ष की घटनाओं से किया जा सकता है। गत वर्ष जब विदेशी विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता सबसे बड़ी चिंता मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर का स्तर पार कर गया तो कुछ लोगों को यह अत्य​धिक लग रहा था। ऐसे विचार सामने आए कि कैसे आरबीआई अपना प्रतिफल बढ़ा सकता है। नवंबर 2021 में इस स्तंभ में कुछ विचारों की व्यवहार्यता पर चर्चा की गई और यह दलील दी गई कि उच्च विदेशी मुद्रा भंडार से मौजूदा वै​श्विक आ​र्थिक माहौल में जो सबसे मूल्यवान चीज हासिल की जा सकती है वह है वित्तीय ​स्थिरता। भारत की बाहरी ​स्थिति की प्रकृति को देखते हुए चीजें काफी तेजी से बदल सकती हैं। बीते महीनों में हम ऐसा होते हुए विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता सबसे बड़ी चिंता देख चुके हैं। खासतौर पर यूक्रेन युद्ध के बाद काफी बदलाव आया है। कई देशों में जहां मुद्रास्फीति संबंधी दबाव बढ़ रहा था वहीं जिंस की ऊंची कीमतों ने बड़े केंद्रीय बैंकों, खासकर फेडरल रिजर्व को तत्काल कदम उठाने पर विवश किया। इसके चलते इस सप्ताह नीतिगत दरों में 75 आधार अंकों का इजाफा हो गया। ये घटनाक्रम भारत को अलग तरह से प्रभावित करते हैं। सबसे पहले, ऊंची जिंस कीमतों के कारण व्यापार घाटा बढ़ रहा है। अनुमान है कि चालू वर्ष में चालू खाता घाटा जीडीपी के तीन प्रतिशत से अ​धिक रहेगा। दूसरा, वित्तीय हालात के तंग होने तथा वै​श्विक बाजारों में जो​खिम में बचाव के विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता सबसे बड़ी चिंता कारण पूंजी बाहर जा रही है।

Forex Reserves: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट! दो साल के निचलते स्तर पर पहुंचा, जानिए क्यों आ रही गिरावट?

Forex Reserves

2 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 560 अरब डॉलर से गिरकर 553.105 अरब डॉलर पर आ गया था

भारतीय रुपये पर बना हुआ है दबाव
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, रुपये की कीमत ने रिजर्व बैंक की टेंशन थोड़ी बढ़ा दी है। लिहाजा आरबीआई रुपये की कीमत को नियंत्रित करने के लिए कदम उठा रहा है। इन चीजों का असर मुद्रा भंडार पर दिख रहा है। डॉलर में तेजी की वजह से भारतीय रुपया पर लगातार दबाव बना हुआ है।

अगस्त में भी देखने को मिली थी गिरावट
अगस्त में देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी। 2 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 560 अरब डॉलर से गिरकर 553.105 अरब डॉलर पर आ गया था। इसमें 7.941 अरब डॉलर की गिरावट देखने को मिली थी। इस समय मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर आ गया था। 26 अगस्त 2022 को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 561.046 अरब डॉलर था।

UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 01 July, 2022 UPSC CNA in Hindi

 Image Source: BBC

1. संशोधित PSLV ने तीन विदेशी उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया:

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पीएसएलवी-सी53 ने इसरो, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) ने दूसरे समर्पित मिशन में सिंगापुर के तीन उपग्रहों को उनकी इच्छित कक्षाओं में स्थापित किया।
  • इस मिशन ने वैज्ञानिक प्रयोगों के संचालन के लिए कक्षा में एक स्थिर मंच के रूप में अपने पीएसएलवी-चौथे चरण “पीएसएलवी कक्षीय प्रायोगिक मॉड्यूल (पीओईएम)” का उपयोग करके इसरो के लिए एक अतिरिक्त उद्देश्य भी पूरा किया।
  • इसरो द्वारा ps 4 stage ko हासिल करने तथा आकाशीय कक्षाओं में लागत प्रभावी प्रयोग , स्टार्टअप, स्टूडनेट्स और वैज्ञानिक समुदाय की बढ़ती मांगो को पूरा कर सकता है।

14 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा डॉलर विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता सबसे बड़ी चिंता इंडेक्स

चालू वित्त वर्ष में 28 सितंबर तक छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर में 14.5 प्रतिशत की तेजी आई है. ऐसे में दुनिया भर के करंसी मार्केट में भारी उथल-पुथल मची हुई है. दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करते हुए कहा कि ज्यादातर दूसरे देशों की तुलना में भारतीय रुपये की गति व्यवस्थित रही है. उन्होंने कहा कि समीक्षाधीन अवधि में विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता सबसे बड़ी चिंता अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में 7.4 प्रतिशत की गिरावट आई, जो अन्य करंसी के मुकाबले काफी बेहतर है.दास ने यह भी कहा कि एक स्थिर विनिमय दर वित्तीय और व्यापक आर्थिक स्थिरता तथा बाजार के विश्वास का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि रुपया एक स्वतंत्र रूप से छोड़ी गई मुद्रा है विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता सबसे बड़ी चिंता और इसकी विनिमय दर बाजार द्वारा निर्धारित होती है. उन्होंने कहा, ”आरबीआई ने (रुपये के लिए) कोई निश्चित विनिमय दर तय विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता सबसे बड़ी चिंता नहीं की है. वह अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करता है.” दास ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार की पर्याप्तता के पहलू को हमेशा ध्यान में रखा जाता है और यह मजबूत बना हुआ है. उनके अनुसार 23 सितंबर, 2022 तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 537.5 अरब डॉलर था.

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