'अग्निपथ' का नेपाल में विरोध, जानें भारतीय सेना में क्यों भर्ती होते हैं गोरखा सैनिक?
अग्निपथ योजना को लेकर नेपाल में भी विवाद शुरू हो गया है. अग्निपथ योजना के तहत नेपाल के युवाओं की भर्ती के लिए भारतीय सेना की रैली टल गई है. 1947 में हुए एक समझौते के तहत, भारतीय सेना में नेपाल के गोरखा सैनिकों को भर्ती किया जाता है. भारतीय सेना में गोरखा सैनिकों की संख्या 40 हजार है.
प्रियंक द्विवेदी
- नई दिल्ली,
- 26 अगस्त 2022,
- (अपडेटेड 26 अगस्त 2022, 4:37 PM IST)
चार साल के लिए सेना में भर्ती के लिए लाई गई केंद्र सरकार की 'अग्निपथ' योजना को लेकर नेपाल में भी विवाद शुरू हो गया है. नेपाल में विपक्षी पार्टियां अग्निपथ योजना का विरोध कर रहीं हैं. जैसी चिंता भारत में थी, वैसी ही वहां भी जताई जा रही है. विरोध करने वालों का कहना है कि चार साल बाद ये युवा क्या करेंगे?
अग्निपथ योजना के तहत ही नेपाली युवाओं को भी सेना में भर्ती किया जाना है. आजादी के बाद यूके, नेपाल और भारत में हुए एक समझौते के तहत नेपाली गोरखाओं को भारतीय और ब्रिटिश सेना में भर्ती किया जाता है.
नेपाली युवाओं की भर्ती के लिए सेना भर्ती रैली करने वाली थी, लेकिन नेपाल सरकार की ओर से जवाब नहीं आने के बाद इस रैली को रद्द कर दिया गया.
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इस पूरे मामले पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि लंबे समय से गोरखा सैनिकों को भारतीय सेना में भर्ती किया जा रहा है और अग्निपथ योजना के तहत गोरखा सैनिकों को भर्ती किया जाएगा.
अग्निपथ योजना का ऐलान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 14 जून को किया था. इस योजना के तहत साढ़े 17 साल से 21 साल के युवाओं को चार साल के लिए तीनों सेनाओं में भर्ती किया जाएगा. इन युवाओं को 'अग्निवीर' कहा जाएगा. इस साल 46 हजार अग्निवीरों की भर्ती होनी है. चार साल बाद इनमें से 25% को सेना में शामिल किया जाएगा, जबकि बाकी के 75% अग्निवीरों को सेवा मुक्त कर दिया जाएगा. चार साल बाद सेवा से मुक्त हुए अग्निवीरों को कोई पेंशन नहीं मिलेगी.
नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खड़के ने बुधवार को भारत के राजदूत नवीन श्रीवास्तव से मुलाकात कर भर्ती रैली टालने की अपील की थी. नेपाली गोरखाओं की भर्ती के लिए 25 अगस्त से रैली होनी थी.
पर ये गोरखा हैं कौन?
नेपाली सैनिकों को 'गोरखा' कहा जाता है. इनका नाम दुनिया के सबसे खतरनाक सैनिकों में होता है. भारतीय सेना के फील्ड मार्शल रहे सैम मानेकशॉ ने कहा था, 'अगर कोई कहता है कि उसे मौत से डर नहीं लगता, तो वो या तो झूठ बोल रहा है या गोरखा है.'
गोरखा नाम पहाड़ी शहर गोरखा से आया है. इसी शहर से नेपाली साम्राज्य का विस्तार शुरू हुआ था. गोरखा नेपाल के मूल निवासी हैं. इन्हें ये नाम 8वीं सदी में हिंदू संत योद्धा श्री गुरु गोरखनाथ ने दिया था.
नेपाली जवानों की भारतीय सेना में भर्ती क्यों?
इसे जानने के लिए 200 साल पहले जाना होगा. बात 1814 की है. भारत पर अंग्रेजों का कब्जा था. अंग्रेज नेपाल पर भी कब्जा करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने नेपाल पर हमला कर दिया. ये युद्ध एक साल से भी लंबे समय तक चला. आखिरकार सुगौली की संधि ने युद्ध खत्म किया.
इस जंग में नेपाली सैनिकों की बहादुरी देखकर अंग्रेज प्रभावित हो गए. उन्होंने सोचा क्यों न इन्हें ब्रिटिश सेना में शामिल किया जाए. इसके लिए 24 अप्रैल 1815 में नई रेजिमेंट बनाई गई, जिसमें गोरखाओं को भर्ती किया गया.
ब्रिटिश इंडिया की सेना में रहते हुए गोरखाओं ने दुनियाभर में कई अहम जंग लड़ी. दोनों विश्व युद्ध में भी गोरखा सैनिक थे. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों विश्व युद्ध में करीब 43 हजार गोरखा सैनिकों की मौत हो गई थी.
आजादी के बाद नवंबर 1947 में यूके, भारत और नेपाल के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ. इसके तहत ब्रिटिश और भारतीय सेना में नेपाली गोरखाओं की भर्ती की जाती है. आजादी के समय ब्रिटिश सेना में गोरखाओं की 10 रेजिमेंट थी.
समझौते के तहत 6 रेजिमेंट भारत और 4 रेजिमेंट ब्रिटिश सेना का हिस्सा बनी. लेकिन, 4 रेजिमेंट के कुछ सैनिकों ने ब्रिटेन जाने से मना कर दिया. तब भारत ने 11वीं रेजिमेंट बनाई.
भारत में कितने गोरखा सैनिक?
गोरखा सैनिकों की ट्रेनिंग भी दुनिया में सबसे ज्यादा खतरनाक मानी जाती है. ट्रेनिंग के दौरान सैनिकों को सिर पर 25 किलो रेत रखकर सदा के वायदा अनुबंध क्या हैं 4.2 किलोमीटर खड़ी दौड़ दौड़ना पड़ता है. ये दौड़ा उन्हें 40 मिनट में पूरी करनी होती है.
भारतीय सेना में गोरखाओं की 7 रेजिमेंट और 43 बटालियन हैं. कई सारी बटालियन को मिलकर एक रेजिमेंट बनती है. अनुमान के मुताबिक, भारतीय सेना में गोरखा सैनिकों की संख्या 40 हजार के आसपास है. हर साल 1200 से 1300 गोरखा सैनिक भारतीय सेना में शामिल होते हैं.
गोरखा सैनिकों को भारतीय सेना के जवानों जितनी है सैलरी मिलती है. रिटायर होने पर उन्हें पेंशन भी दी जाती है.
भारतीय सेना के अलावा ब्रिटिश सेना में भी गोरखा सैनिकों की भर्ती होती है. पहले इन सैनिकों को रिटायर होने के बाद नेपाल लौटना होता था, लेकिन अब ये चाहें तो ब्रिटेन में भी रह सकते हैं. ब्रिटिश सरकार भी इन गोरखा सैनिकों को पेंशन देती है. हालांकि, इन्हें ब्रिटिश सैनिकों की तुलना में पेंशन कम दी जाती है.
अग्निपथ का नेपाल में विरोध क्यों?
अग्निपथ योजना को लेकर भारत में दो बातों पर विवाद था. पहला ये कि चार साल बाद इन युवाओं का सदा के वायदा अनुबंध क्या हैं क्या होगा? और दूसरा ये कि सेना में चार साल सेवा करने के बाद भी इन्हें पेंशन नहीं मिलेगी, तो ये गुजारा कैसे करेंगे? इन्हीं दो बातों पर नेपाल में भी विवाद हो रहा है.
भारतीय सेना में 40 हजार के करीब गोरखा सैनिक हैं, जबकि डेढ़ लाख रिटायर्ड हैं. इनकी सैलरी और पेंशन पर भारत हर साल अनुमानित 4,200 करोड़ रुपये खर्च करता है. ये रकम नेपाल के रक्षा बजट से भी ज्यादा है. इसलिए अगर पेंशन बंद होती है तो इससे नेपाल की अर्थव्यवस्था को भी गहरा नुकसान पहुंचेगा.
क्रिप्टो मार्जिन और डेरिवेटिव ट्रेडिंग
एक क्रिप्टो धारक और एक व्यापारी दोनों के लिए अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने में रुचि रखते हैं, आज के क्रिप्टो बाजार अतीत की तुलना में वित्तीय साधनों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं। पारंपरिक वित्त के मूलभूत तत्वों के आधार पर, दो उत्पादों ने हाल ही में क्रिप्टो स्पेस में लोकप्रियता हासिल की है: मार्जिन और डेरिवेटिव ट्रेडिंग।
क्रिप्टो मार्जिन ट्रेडिंग क्या है?
मार्जिन ट्रेडिंग इसे बनाता है ताकि आप लंबी (खरीदें) या छोटी (बेचने) की स्थिति खोलने के लिए धन उधार ले सकें। आप अतिरिक्त धन का लाभ उठाकर, संभावित रूप से बड़ा और तेज़ रिटर्न उत्पन्न करके अपनी क्रय शक्ति बढ़ा सकते हैं।
उदाहरण के लिए, एक व्यापारी जिसके पास केवल $25 USDT है, लेकिन जो बिटकॉइन पर बेहद आशावादी है, अपने टीथर जमा कर सकता है और $75 उधार लेने के लिए 4:1 का लाभ उठा सकता है, जिससे उन्हें $ 100 मूल्य का बिटकॉइन खरीदने की अनुमति मिलती है। लेकिन, व्यापारी अभी भी शेष $75 और किसी भी संबद्ध शुल्क के लिए हुक पर है।
AscendEX कुछ अनोखा है क्योंकि प्लेटफॉर्म क्रॉस-एसेट संपार्श्विक पोस्टिंग का समर्थन करता है। इसलिए, व्यापारी मार्जिन ट्रेडिंग के लिए ~ 50 परिसंपत्तियों में से किसी एक का उपयोग संपार्श्विक के रूप में कर सकते हैं और फिर लंबी या छोटी अन्य परिसंपत्तियों के लिए उधार ले सकते हैं। इसका मतलब यह है कि एक व्यापारी इस साल मार्च में अपने ईटीएच बैलेंस के $50 यूएसडीटी का उपयोग करके $500 मूल्य का बीटीसी खरीद सकता था (उस समय उत्तोलन 10:1 था)। 15 मार्च को $ 5,397 की हाजिर कीमत के साथ, यह व्यापारी को लगभग 0.09 बीटीसी शुद्ध करेगा। 15 मई तक, 0.09 बीटीसी का मूल्य ~$881 यूएसडीटी काल्पनिक था, जो बकाया $450 ऋण को कवर करने और व्यापारी के लिए लाभ में $500 से अधिक उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त था।
व्यापारियों को अपने रिटर्न को और अधिक बढ़ाने में मदद करने के लिए, AscendEX मार्जिन ऋण पर 0% ब्याज प्रदान करता है जो 8 घंटे के फंडिंग अंतराल के भीतर चुकाया जाता है।
क्रिप्टो फ्यूचर्स क्या हैं?
क्रिप्टो फ्यूचर्स ऐसे अनुबंध हैं जो क्रिप्टो परिसंपत्तियों के भविष्य के मूल्य को निर्धारित करते हैं। इन जटिल उपकरणों को खरीदने और बेचने से, व्यापारी किसी भी समय उनके लिए उपलब्ध सभी ज्ञात सूचनाओं के आधार पर क्रिप्टो बाजार में भावना पर अनुमान लगाते हैं। व्यापारी एक वायदा अनुबंध खरीदेंगे यदि वे मानते हैं (या लगता है कि यह संभावना है) कि एक परिसंपत्ति के लिए बाजार की कीमत बढ़ जाएगी, या एक वायदा अनुबंध बेचेंगे यदि वे मानते हैं (या लगता है कि यह संभावना है) कि संपत्ति के लिए बाजार की कीमत होगी नीचे जाओ।
बिटकॉइन सदा अनुबंध
परपेचुअल कॉन्ट्रैक्ट व्यापारियों को समय-समय पर भुगतान करते हुए, किसी परिसंपत्ति की भविष्य की कीमत पर अटकलें लगाने और देखने का अवसर प्रदान करते हैं। यदि अनुबंध की कीमतें अंतर्निहित हाजिर बाजार में छूट पर कारोबार कर रही हैं, तो फंडिंग दरें नकारात्मक होंगी और शॉर्ट पोजीशन लंबी पोजीशन का भुगतान करेगी। या, यदि अनुबंध की कीमतें बाजार के प्रीमियम पर कारोबार कर रही हैं, तो फंडिंग दरें सकारात्मक होंगी और लंबी स्थिति शॉर्ट पोजीशन का भुगतान करेगी।
उत्तोलन के साथ क्रिप्टो ट्रेडिंग के जोखिमों को समझना
ट्रेडिंग की दो कुंजी हैं: जोखिम प्रबंधन और अनुशासन। उत्तोलन व्यापार बढ़े हुए लाभ की संभावना लाता है, जबकि इससे भी अधिक नुकसान का जोखिम भी पेश करता है। उत्तोलन का उपयोग करने वाले व्यापारियों को एक रणनीति निर्धारित करने और नुकसान की राशि को परिभाषित करने के लिए तैयार रहना चाहिए – यदि और जब कोई व्यापार उनके खिलाफ जाता है।
मार्जिन ट्रेडिंग एक व्यापारी के प्रारंभिक पूंजी निवेश से अधिक खोने का जोखिम पेश करती है। किसी व्यापार के लिए उपयोग किए जाने वाले उत्तोलन की मात्रा के आधार पर, हाजिर कीमत में छोटी सी भी गिरावट के परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण नुकसान हो सकता है। व्यापारियों को उच्च-मार्जिन वाले ट्रेडों को खोलने में रणनीतिक होना चाहिए, यदि बिल्कुल भी, परिसमापन या इससे भी अधिक वित्तीय नुकसान के जोखिम को कम करने के लिए।
अब जब आपको मार्जिन ट्रेडिंग से परिचित कराया गया है, तो आपके पास क्रिप्टो परिसंपत्तियों के एक गहरे बाजार तक पहुंच होगी। जैसे ही आप अपनी क्रिप्टो मार्जिन ट्रेडिंग यात्रा शुरू करते हैं, इसके साथ आने वाले जोखिमों और पुरस्कारों से अवगत होना सुनिश्चित करें। और याद रखें: अगर यह सच होने के लिए बहुत अच्छा लगता है, तो शायद यह है!
Crude Rate Today: कोरोना वायरस के कहर से टूटा कच्चा तेल, 5 महीने के निचले स्तर पर भाव
Crude Rate Today: कोरोना के गहराते प्रकोप से निपटने के लिए यूरोप में लॉकडाउन से वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंकाओं से फिर कच्चे तेल के दाम में भारी गिरावट आई है. वैश्विक बाजार में कच्चे तेल का भाव पांच महीने के निचले स्तर पर आ गया है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बीते एक सप्ताह में बेंचमार्क कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड के दाम में करीब पांच डॉलर प्रति बैरल की गिरावट आई है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आई गिरावट से भारतीय वायदा बाजाद में भी बीते एक सप्ताह में करीब 400 रुपये प्रति बैरल की गिरावट आई है.
29 सदा के वायदा अनुबंध क्या हैं मई के निचले स्तर पर पहुंचा MCX क्रूड
घरेलू वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर कच्चे तेल के नवंबर वायदा अनुबंध में बीते सत्र से 83 रुपये यानी 3.14 फीसदी की गिरावट के साथ 2,559 रुपये प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले भाव 2,544 रुपये प्रति बैरल तक टूटा, जोकि 29 मई के बाद का सबसे निचला स्तर है जब तेल का भाव 2,450 रुपये प्रति बैरल तक टूटा था. अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर ब्रेंट क्रूड के जनवरी डिलीवरी अनुबंध में बीते सत्र के मुकाबले 3.06 फीसदी की गिरावट के साथ 36.78 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था, जबकि इससे पहले भाव 35.76 डॉलर प्रति बैरल तक टूटा था जो करीब पांच महीने का सबसे निचला स्तर है.
इसी प्रकार, अमेरिकी क्रूड वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) के दिसंबर डिलीवरी अनुबंध में भी बीते सत्र से 3.66 फीसदी की कमजोरी के साथ 34.48 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था, जबकि इससे पहले भाव 33.65 डॉलर तक टूटा था जोकि 29 मई के बाद का सबसे निचला स्तर है जब डब्ल्यूटीआई का भाव 32.36 डॉलर प्रति बैरल तक गिरा था.
कच्चे तेल के दाम में आई गिरावट की पांच मुख्य वजह
- कोरोना का कहर दोबारा गहराने से तेल की मांग में कमी की आशंका बनी हुई है.
- अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है.
- लीबिया और इराक से तेल की आपूर्ति बढ़ने से ओपेक के अन्य सदस्यों देशों द्वारा किए जा रहे उत्पादन में कटौती के बावजूद समूह की आपूर्ति में वृद्धि हो रही है.
- आईईए का अनुमान है कि कोरोना महामारी का असर लंबे समय तक रह सकता है जिससे तेल की वैश्विक मांग के मामले में यह सदी का सबसे कमजोर दशक रह सकता है. उधर, सदा के वायदा अनुबंध क्या हैं ओपेक प्रमुख का कहना है कि कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने से तेल में रिकवरी में विलंब हो सकता है.
- अमेरिका में तेल के भंडार में 23 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान 43.2 लाख बैरल का इजाफा हुआ। कोरोना महामारी के चलते अमेरिका में तेल की मांग में पिछले साल के मुकाबले करीब 13 फीसदी की गिरावट आई है.
क्या कहते हैं जानकार
एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट (एनर्जी एवं करेंसी रिसर्च) अनुज गुप्ता ने बताया कि कोरोना के कहर के चलते तेल की मांग कमजोर रहने की आशंका से कीमतों में गिरावट आई है और आगे डब्ल्यूटीआई का भाव 30 डॉलर जबकि ब्रेंट क्रूड का 32 डॉलर प्रति बैरल तक गिर सकता है.
केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने भी बताया कि कोरोन के कहर के चलते यूरोप में लॉकडाउन होने से तेल की मांग में कमी की आशंका बनी हुई है जिससे अक्टूबर महीने में कच्चे तेल के भाव में 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट रही. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजनीतिक उथल-पुथल को लेकर भी कारोबारी असमंजस में हैं.
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प्रियंक द्विवेदी
- नई दिल्ली,
- 26 अगस्त 2022,
- (अपडेटेड 26 अगस्त 2022, 4:37 PM IST)
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भारतीय सेना में 40 हजार के करीब गोरखा सैनिक हैं, जबकि डेढ़ लाख रिटायर्ड हैं. इनकी सैलरी और पेंशन पर भारत हर साल अनुमानित 4,200 करोड़ रुपये खर्च करता है. ये रकम नेपाल के रक्षा बजट से भी ज्यादा है. इसलिए अगर पेंशन बंद होती है तो इससे नेपाल की अर्थव्यवस्था को भी गहरा नुकसान पहुंचेगा.
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