प्रशांत किशोर बोले- खुद नहीं लड़ूंगा चुनाव, पर जनता को 'बेहतर विकल्प' जरूर दूंगा
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने कहा अगर मैं नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की राजनीति में शामिल हो जाता हूं तो वह एक बार फिर मुझ पर मेहरबान दिखेंगे. मैंने अपने लिए एक अलग रास्ता चुना इसलिए वो मुझसे नाखुश हैं.”
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि वो खुद चुनाव नहीं लड़ूेंगे.
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने खुद के चुनाव लड़ने की संभावना से शनिवार को इनकार किया, लेकिन अपने गृह राज्य बिहार (Bihar) के लिए एक ‘बेहतर विकल्प' बनाने की अपनी प्रतिज्ञा दोहराई. पश्चिम चंपारण जिले के मुख्यालय नगर बेतिया में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किशोर ने उन्हें ‘धंधेबाज़' बताने वाले जनता दल यूनाइटिड (JDU) के नेताओं पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें अपनी पार्टी के शीर्ष नेता एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछना चाहिए कि उन्होंने “मुझे दो साल वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है? के लिए अपने निवास पर क्यों रखा था.
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जदयू नेताओं ने किशोर पर आरोप लगाया था कि वह‘धंधेबाज़' हैं और उनके पास राजनीतिक कौशल नहीं है. ‘आईपैक' के संस्थापक से बार-बार पूछा गया कि क्या वह खुद चुनावी मैदान में उतरने की योजना बना रहे हैं तो उन्होंने कहा, ‘मैं चुनाव क्यों लड़ूंगा, मेरी ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है.'किशोर रविवार को होने वाले पश्चिम चंपारण के जिला सम्मेलन से एक दिन पहले पत्रकारों से बात कर रहे थे. इस सम्मेलन में नागरिकों की राय ली जाएगी कि क्या ‘जन सुराज' अभियान को राजनीतिक दल में बदला जाए या नहीं.
किशोर राज्य की 3500 किलोमीटर लंबी पद यात्रा पर हैं. उन्होंने कहा कि राज्य के सभी जिलों में इसी तरह से जनता से राय ली जाएगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी. जदयू के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने दावा किया, ‘‘अगर मैं नीतीश कुमार के राजनीतिक उद्यम में शामिल हो जाता हूं तो वह एक बार फिर से मुझ पर मेहरबान दिखेंगे. चूंकि मैंने अपने लिए एक अलग रास्ता चुना इसलिए वह और उनके समर्थक मुझसे नाखुश हैं.”
किशोर ने जदयू के नेताओं पर प्रहार करते हुए कहा कि उन्हें नीतीश कुमार से पूछना चाहिए “अगर मेरी कोई राजनीतिक समझ नहीं थी तो मैं दो साल तक उनके आवास पर क्या कर रहा था.”एक प्रश्न के उत्तर में किशोर ने कहा कि उन्हें अतीत में कुमार के लिए काम करने का पछतावा नहीं है. उन्होंने कहा कि कुमार 10 साल पहले जो थे और जो अब हैं, उनमें बहुत अंतर है.वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है?
किशोर ने दावा किया, “कुमार ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए नैतिकता के आधार पर अपनी कुर्सी छोड़ दी थी. अब वह सत्ता में बने रहने के लिए किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार हैं.”उन्होंने महागठबंधन सरकार के एक साल में 10 लाख नौकरियों के वादे का उपहास उड़ाते हुए कहा, ‘‘मैंने इसे कई बार कहा है और मैं इसे फिर से कहता हूं. अगर वे वादा पूरा करते हैं तो मैं अपना अभियान छोड़ दूंगा.'' किशोर ने चुटकी लेते हुए कहा कि उन्हें आश्चर्य है, “हमारे मुख्यमंत्री को यह एहसास क्यों हुआ कि वह 10 लाख नौकरियां प्रदान कर सकते हैं. ऐसा लगता है कि उनके पास कुछ अवतरित हुआ है.”
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
कमोडिटीज़
ग्वार वायदा एक हफ्ते की ऊपरी स्तर पर है. NCDEX ग्वारसीड का वायदा ₹ 5,800 के करीब यानी 1.5% की तेजी के साथ बंद हुआ. ग्वारगम का वायदा ₹ 11,000 के ऊपर यानी 2% की तेजी के साथ बंद हुआ.
सेबी ने जिंस वायदा में विकल्प कारोबार की अनुमति दी
विकल्प अनुबंध एक डेरिवेटिव उत्पाद है जो निवशकों को निश्चित कीमत या तारीख पर बिना किसी बाध्यता के खरीदने का अधिकार देता है.
The deliverable supply is the total production of a particular crop, imports and carry-forward stock.This was वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है? the nub of Wednesday's recommendations by the Commodity Derivatives Advisory Committee (CDAC) to वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है? Sebi.
एक्सचेंज लंबे समय से यह मांग कर रहे थे कि जिंसों में विकल्प कारोबार की अनुमति मिलनी चाहिए. सेबी ने पिछले साल विकल्प कारोबार की अनुमति देने पर सहमति जतायी थी लेकिन कुछ कानूनी जरूरतें रास्ते में बाधा थी. गहन विचार-विमर्श के बाद सेबी ने अंतत: सीधे किसी जिंस को मंजूरी देने के बजाए जिंसों के वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है? वायदा अनुबंध में विकल्प कारोबार की अनुमति देने का फैसला किया.
विकल्प अनुबंध एक डेरिवेटिव उत्पाद है जो निवशकों को निश्चित कीमत या तारीख पर बिना किसी बाध्यता के खरीदने का अधिकार देता है. दूसरी तरफ वायदा अनुबंध के तहत संबंधित जिंस या अन्य विाीय उत्पाद की खरीद या बिक्री भविष्य में पहले से निर्धारित कीमत और समय पर होती है.
Investment in Gold : 6 महीने के निचले स्तर पर सोना, चांदी में भी जबरदस्त गिरावट, जानिए क्यों फंड ऑफ फंड्स है इनमें निवेश का बेहतर तरीका
Investment in Gold : एमसीएक्स एक्सचेंज पर चांदी की वायदा कीमत 3.02 फीसदी या 1752 रुपये की भारी गिरावट के साथ 56275 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई। चांदी की आधी मांग इंडस्ट्री से आती है, जहां इसका इस्तेमाल स्मार्टफोन, टैबलेट, सोलर पैनल से लेकर इलेक्ट्रिक गाड़ियों तक में होता है।
सोने-चांदी की कीमतों में आई है भारी गिरावट
हाइलाइट्स
- दो साल के निचले स्तर पर आए सोने के वैश्विक भाव
- मजबूत डॉलर और बढ़ती बांड यील्ड के चलते घटे दाम
- चांदी के वायदा भाव में आई 1752 रुपये की भारी गिरावट
नई दिल्ली : हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को सोने-चांदी की कीमतों (Gold Silver Prices) में भारी गिरावट दर्ज हुई। एमसीएक्स एक्सचेंज पर 5 दिसंबर 2022 की डिलीवरी वाली चांदी की कीमत 3.02 फीसदी या 1752 रुपये की भारी गिरावट के साथ 56275 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई। वहीं, 5 अक्टूबर 2022 की डिलीवरी वाला सोना (Gold Price Today) 1.20 फीसदी या 601 रुपये की गिरावट के साथ 49,399 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। इस तरह सोने का भाव 6 महीने के निचले स्तर पर आ गया। वैश्विक स्तर पर कमजोर रुख के चलते कीमतों में यह गिरावट आई है। वैश्विक स्तर पर सोना दो साल के निचले स्तर पर आ गया है। मजबूत डॉलर और बढ़ी हुई यूएस बांड यील्ड के चलते निवेशकों के बीच सोने का आकर्षण कम हो गया है। डॉलर इंडेक्स 20 साल के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया है। वहीं, बेंचमार्क 10 साल की यूएस ट्रेजरी यील्ड्स 11 वर्षों के उच्च स्तर पर है। वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है?
गोल्ड और सिल्वर के लिए फंड ऑफ फंड्स
बाजार में अब गोल्ड और सिल्वर दोनों में निवेश करने वाले फंड ऑफ फंड्स पेश किए जा रहे हैं। देश में कीमती धातुओं के तौर पर सोने और चांदी के प्रति लोगों में जबरदस्त आकर्षण देखा जाता है। सोने को निवेश में विविधता लाने के लिए अहम माना जाता है। वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है? हालांकि, उपयोग के मामले में अंतर के कारण सोने और चांदी के भाव अलग-अलग तरह से घटते और बढ़ते हैं। कहते हैं कि कमोडिटी के दाम में उछाल आता है, तब चांदी का प्रदर्शन सोने से भी बेहतर रहने की उम्मीद की जाती है।
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ऐसे काम करता है यह निवेश विकल्प
गोल्ड और सिल्वर फंड ऑफ फंड्स सोने और चांदी में बराबर रकम लगाते हैं। इसके पीछे उसका मकसद दोनों की विविधता का फायदा उठाना है। जब कभी किसी एक धातु के दाम में अचानक से उछाल आता है और निवेश का संतुलन बिगड़ने लगता है, तो फंड बेहतर प्रदर्शन करने वाले धातु को बेचकर दूसरे धातु को खरीद लेता है। ऐसा करके वह सोने और चांदी में निवेश का संतुलन फिर से बहाल करता वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है? है। एडलवाइस एएमसी की एमडी और सीईओ राधिका गुप्ता कहती है, 'सोने में महंगाई के असर को कम करने के गुण हैं। नए जमाने के प्रॉडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग में चांदी का इस्तेमाल बढ़ रहा है। निवेशक इसका लाभ उठा सकते हैं।'
इंडस्ट्री से आती है चांदी की आधी मांग
इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चांदी की आधी मांग इंडस्ट्री से आती है, जहां इसका इस्तेमाल स्मार्टफोन, टैबलेट, सोलर पैनल से लेकर इलेक्ट्रिक गाड़ियों तक में होता है। क्वांटम एएमसी के सीआईओ चिराग मेहता कहते हैं, 'इंडस्ट्री में चांदी की मांग उसके लिए अच्छा और बुरा दोनों साबित होती है, जो आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार पर निर्भर करता है।'
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