प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रविवार को करनाल के डॉ. मंगलसेन सभागार में प्राकृतिक खेती पर आयोजित राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक में इसकी घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे आईसी बाजारों की समीक्षा करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य होगा, जहां प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए इस तरह की पहल की गई है। प्राकृतिक खेती का मूल उद्देश्य खानपान को बदलना है। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें खाद्यान्न ही औषधि की धारणा को अपनाना होगा। उन्होंने यह भी कहा प्राकृतिक खेती ही इसका एकमात्र रास्ता है, मुझे खुशी है कि किसान अब जैव खेती का मतलब समझ रहे हैं। इसके लिए अब तक 1,253 किसानों ने रजिस्ट्रेशन किया है, तो आइए ट्रैक्टरगुरू की इस पोस्ट के माध्यम से हरियाणा सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने को लेकर की गई घोषणा पर एक नजर डालते हैं। पोस्ट के माध्यम यह जानते हैं कि हरियाणा सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने को लेकर की गई घोषणा में किसानों के लिए क्या खास है।

आईसी बाजारों की समीक्षा

जिसने तुमको जन्म दिया है, उसको क्या दे पाओगे!
फ़ादर्स डे पर, अपने पप्पा को कितना बहलाओगे?

गूगल या पेपर से पढ़ कर, याद तुम्हें भी आती है,
बूढ़े पापा के मन की, कमज़ोरी खोजी जाती हैं।

भावपूर्ण संदेश, चित्र, बहुतेरे 'नेट' पर आईसी बाजारों की समीक्षा मिलते हैं,
इनसे कुछ काट-छाँट कर, बच्चे मैसेज लिखते हैं।

इन्हें भेज कर इस दिन बच्चे, पितृ-भक्त बन जाते हैं,
वीडियो-कॉल, 'चैट' करके, कर्तव्यों से तर जाते हैं।

धूल खा रहा फोन अचानक, चौंकाता-सा बजता है,
उसमें से बच्चों का आदर-स्नेह, फूल-सा झरता है।

हतप्रभ, मूक सभी फ़ादर, यह खेल देखते रहते हैं,
पितृ-भक्ति का कितना अच्छा, अभिनय बच्चे करते हैं।

पितृ प्रेम की प्यारी बातें, निरी व्यंग्य सी लगती हैं,
"शॉल लपेटी जूती" सी, आकर कानों में चुभती हैं।

कुछ बच्चे जो 'रिच' हैं, उपहारों से प्यार जताते हैं,
देशी और विदेशी बाज़ारों पर, नज़र घुमाते हैं।

ऑटो कंपोनेंट उद्योग की सहायता के लिए आगे आई CBIC

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) द्वारा HSN (Harmonised System of Nomenclature/ नामकरण की संगत प्रणाली) कोड के आधार पर वस्तुओं (goods) के वर्गीकरण (classification) पर स्पष्टीकरण दिए जाने के बाद ऑटो कंपोनेंट उद्योग अब राहत महसूस कर सकता है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट आईसी बाजारों की समीक्षा द्वारा इस मुद्दे पर वित्त मंत्रालय द्वारा दायर एक समीक्षा याचिका को खारिज करने के बाद उद्योग चिंतित था। यह मामला मूल रूप से उत्पाद शुल्क (excise duty) से संबंधित है लेकिन इसका सीमा शुल्क (customs duty) और वस्तु एवं सेवा कर (GST) पर भी प्रभाव पड़ता है।

असल मामला क्या है

मूल मामला रेलवे में इस्तेमाल होने वाले रिले (relays) के वर्गीकरण (classification) से जुड़ा है। एचएसएन कोड में, कभी-कभी कुछ अध्यायों (chapters) में कुछ वस्तुओं को शामिल नहीं किया जाता है । उदाहरण के लिए अध्याय 85 (दो अंक एचएसएन कोड के तहत अध्यायों को संदर्भित करते हैं) रिले सहित इलेक्ट्रिक सर्किट को चालू या संरक्षित करने के लिए विद्युत उपकरण को कवर करता है। अध्याय 86 में रेलवे या रेलवे लोकोमोटिव या रोलिंग स्टॉक के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया है। यहीं पर exclusion को लेकर एक नोट है, जो कहता है कि अध्याय 85 के तहत आने वाले सामान को 86 के तहत कवर नहीं किया जाएगा, भले ही रेलवे के लिए इस्तेमाल किया गया हो।

उत्पाद शुल्क की दर अध्याय 85 के तहत उत्पादों पर अध्याय 86 के तहत उन उत्पादों की तुलना में अधिक थी। westinghouse saxby farmer मामले के सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने तक वर्गीकरण का यह तय सिद्धांत था। कोर्ट ने मार्च 2021 में फैसला सुनाया कि रिले अध्याय 86 के तहत आएंगे क्योंकि ये मुख्य रूप से इस मामले में रेलवे में उपयोग किए जाते हैं।

खुशखबरी : देसी गाय खरीदने पर सरकार से मिलेगी 50 प्रतिशत तक सब्सिडी

खुशखबरी : देसी गाय खरीदने पर सरकार से मिलेगी 50 प्रतिशत तक सब्सिडी

हरियाणा सरकार प्रधानमंत्री मोदी की नेचुरल फार्मिंग वाली योजना को सफल बनाने की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए नई पहल की है। प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढावा देने के लिए देसी गाय की खरीद पर 25,000 रूपये तक की सब्सिडी देने का ऐलान किया है। राज्य के ऐसे किसान जिनके पास 2-5 एकड़ तक की कृषि योग्य भूमि है और वे अपने स्वेच्छा से प्राकृतिक खेती अपनाएंगे तो सरकार उन्हें देसी गाय खरीदने के लिए 50 प्रतिशत तक सब्सिडी और जीवामृत का घोल तैयार आईसी बाजारों की समीक्षा करने के लिए चार बड़े ड्रम निशुल्क उपलब्ध करा रही है।

प्रदेश में 50 हजार एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती का लक्ष्य रखा

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि राज्य में जैविक खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। प्राकृतिक खेती प्रणाली को शून्य बजट खेती भी कहा जाता है, क्योंकि इस खेती में रासायनिक उर्वरक और खाद का इस्तेमाल नहीं किया जाता, बल्कि प्राकृतिक रूप से तैयार खादों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए हरियाणा सरकार भी देसी गायों पर छूट देकर बड़ा कदम उठा रही है। उन्होंने कहा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए फिलहाल प्रदेश की 50 हजार एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती करने का लक्ष्य रखा गया है। लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए खंड स्तर पर प्रदर्शन प्लांट लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती का प्रदर्शन प्लांट लगाने वाले किसानों के लिए पोर्टल बनाया जाएगा। इस पोर्टल पर जमीन की पूरी जानकारी देने के साथ-साथ किसान स्वेच्छा से फसल विविधीकरण अपनाने के बारे में अवगत करवाएगा। इस प्रकार विभाग के पास पूरी जानकारी होगी तो उसकी आसानी से आईसी बाजारों की समीक्षा मॉनिटरिंग की जा सकेगी।

अब प्राकृतिक खेती को समझने लगे हैं किसान

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती को किसान अब समझने लगे है। उन्होंने कहा प्राकृतिक खेती के लिए राज्य को केन्द्र सरकार से जो बजट मिलेगा, उस बजट ज्यादा हरियाणा सरकार भी देगी। आगे उन्होंने कहा कि एक समय था जब 1960 के दशक में देश में खाद्यान्नों की कमी हो गई थी। इसी कमी को पूरा करने के हरित क्रांति को शुरू किया गया है। आधुनिक विधि एवं रासायनिक खादों व कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से खेती में अधिक पैदावार तो हुई, लेकिन रासायनिक खादों के अधिक प्रयोग से अब खेत भी जहरीले हो गए और खेतों की उपजाऊ शक्ति भी कम हो गई है। रासायनिक खादों के प्रयोग से खाद्यान्नों भी जहरीले हो गए है। इन सभी समस्याओं से निजात पाने व भूमि की ऊपज शक्ति को बढ़ाने एवं कम लागत पर अधिक पैदावार के लिए आईसी बाजारों की समीक्षा प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए जोर दिया है।

भारतीय बाजार से चीनी सामान हुए आउट, इस बार दिवाली चाइनीज लड़ियों की नहीं देसी दीयों वाली है

दिवाली

पूरी दुनिया को कोरोना वायरस की महामारी देने वाले चीन का भारत से पिछले 6 महीने से लद्दाख सीमा पर विवाद चल रहा है। हमारे 20 जवान तक चीनी सैनिकों ने शहीद कर दिए थे, जिसके चलते देश में चीन के खिलाफ आक्रोश की लहर हैं। ऐसे में सीमा पर तो चीन को भारतीय सेना जवाब दे ही रही है लेकिन आर्थिक मोर्चे पर भारतीय जनता भी इस दिवाली चीन का दिवाला निकालने को तैयार है। चीनी इलेक्ट्रॉनिक सामानों को बायकॉट करने के चलते देश में पहली बार बिना चाइनीज रोशनी के दिवाली मनेगी, जो कि देश के लिए एक बड़ी सफलता होगी।

बड़ी खबर: देसी गाय खरीदने के लिए सरकार देगी 25 हजार रुपए तक की सब्सिडी

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देश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे खेती की लागत कम कर बेहतर उत्पाद प्राप्त करके किसान अधिक आय अर्जित कर सकें। इस क्रम में मध्य प्रदेश सरकार के बाद अब हरियाणा राज्य सरकार भी किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए देसी गाय खरीदने पर अनुदान देने जा रही है। इसके अलावा राज्य सरकार जीवामृत का घोल तैयार करने के लिए चार बड़े ड्रम किसानों को निशुल्क देगी।

26 जून के दिन हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने करनाल के डॉ० मंगलसैन ऑडोटोरियम हॉल में प्राकृतिक खेती पर आयोजित राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक में मुख्यातिथि के रूप में भाग लिया। मुख्यमंत्री ने कृषि विशेषज्ञों से सीधा संवाद किया और प्राकृतिक खेती को बढ़ाने के टिप्स दिए। साथ ही मुख्यमंत्री आईसी बाजारों की समीक्षा प्राकृतिक खेती पर दिए जाने वाले अनुदान की घोषणा भी की।

देसी गाय की खरीद पर दी जाएगी 25 हजार रुपए की सब्सिडी

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए देसी गाय की खरीद पर 25 हजार रूपये तक की सब्सिडी देने व प्राकृतिक खेती के लिए जीवामृत का घोल तैयार करने के लिए चार बड़े ड्रम आईसी बाजारों की समीक्षा किसानों को निशुल्क देगी। ऐसा करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पोर्टल पर रजिस्टर्ड 2 से 5 एकड़ भूमि वाले किसानों, जो स्वेच्छा से प्राकृतिक खेती अपनाएंगे, उन्हें देसी गाय खरीदने के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाएगी।

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1253 किसानों ने कराया है प्राकृतिक खेती के लिए पंजीयन

हरियाणा सरकार ने राज्य में 50 हजार एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा है, लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए हर खंड में एक प्रदर्शनी खेत में प्राकृतिक खेती की करवाई जाएगी। प्रदेश में कृषि विभाग द्वारा बनाए गए पोर्टल पर अब तक प्रदेश के 1,253 किसानों ने स्वेच्छा से प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए पंजीकरण करवाया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के लिए प्राकृतिक खेती का प्रदर्शन प्लांट लगाने हेतु पोर्टल बनाया जाएगा। इस पोर्टल पर जमीन की पूरी जानकारी देने के साथ-साथ किसान स्वेच्छा से फसल विविधिकरण अपनाने बारे जानकारी देंगे। इसके अलावा वे दलहनी फसलें उगाने बारे भी जानकारी देगा। इस प्रकार विभाग के पास पूरी जानकारी होगी तो आसानी से मोनिटरिंग की जा सकेगी।

किसानों को 20-25 के छोटे-छोटे समूह में प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे अच्छी तरह से फसल उत्पादन के बारे जानकारी ले सकें। प्राकृतिक खेती के उत्पादों की पैकिंग सीधे किसान के खेतों से ही हो, ऐसी योजना भी तैयार की जाएगी ताकि बाजार में ग्राहकों को इस बात की शंका न रहे कि यह प्राकृतिक खेती का उत्पाद है या नहीं।

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