इसके बाद अगर कोई इनमें अपने परिजनों के होने की आशंका जताता है तो उसका डीएनए सैंपल जेनेटिक एनालाइजर में डाला जाएगा। जहां एक विशेष सॉफ्टवेयर की मदद से हजारों या लाखों सैंपल से मैचिंग कर कुछ ही सेकेंड में उनके परिजन के शव का पता लगा लेगा।
Trading Kya Hoti Hai ?
हम अक्सर स्टॉक मार्केट में Trading के बारे में सुनते हैं।
कितने लोग Trading करके लाखों में प्रॉफ़िट्स कमा लेते हैं।
वहीं कितनो को लॉस भी होता है।
तो आखिर Trading होता क्या है?
ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट में क्या फर्क है?
ट्रेडिंग के कितने टाइप्स होते हैं?
और क्या ट्रेडिंग से रेगुलर इनकम कमाया जा सकता है?
आज हम इस Post में इन सारे सवालों के जवाब जानेंगे।
नमस्कार दोस्तों,
स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग Me
जो इंवेस्टिंग पर बेस्ड है।
अगर आप इंवेस्टिंग मे इंट्रेस्टेड हैं। इंवेस्टिंग सीखना चाहते हैं
तो Bell Notification on करें।
आईये चलते हैं पहले सवाल पर।
ट्रेडिंग क्या होता है?
दोस्तों ट्रेडिंग को हिंदी में व्यापार बोलते हैं। जिसका मतलब होता है किसी चीज़ को खरीदना और फिर उसे बढ़े हुए दाम पर बेचना ताकि प्रॉफिट हो सके।
ठीक इसी तरह स्टॉक मार्केट में शेयर्स को बाय करना और जैसे ही उस शेयर की प्राइस बढ़ जाये उसे बेच कर प्रॉफिट कमाने को ही हम स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग कहते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि इन्वेस्टमेंट में भी तो यही होता है। तो दोस्तों आप सही भी हैं और नही भी। आईये चलते हैं दूसरे सवाल पर ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट में क्या फर्क है?
दोस्तों इन्वेस्टमेंट में हम शेयर्स को लंबे समय तक होल्ड करते हैं। जैसे 1 साल, 5 साल या 10 साल।
लेकिन ट्रेडिंग में हम शेयर्स को बहुत कम समय तक होल्ड करते हैं। जैसे 1 मिनट, 1 घंटा या कुछ महीने।
इन्वेस्टमेंट में हम ध्यान से अच्छी कंपनियों के शेयर्स को बाय करते हैं। क्योंकि हम इन्वेस्टमेंट में कंपनियों के शेयर्स को लंबे समय तक होल्ड करते हैं।
जबकि ट्रेडिंग में हम बिना कंपनी की डिटेल्स जाने बस प्राइस देख कर शेयर्स बाय करते हैं।
क्योंकि ट्रेडिंग में हमे बस प्राइस के मूवमेंट से मतलब होता है। और जैसे ही प्राइस बढ़ती है, हम शेयर को बेचकर प्रॉफिट कमा लेते हैं।
इन्वेस्टमेंट में पैसे लंबे समय मे बनते हैं। पर रिस्क कम होता है। क्योंकि हम अच्छी कंपनियों के शेयर्स को बाय करते हैं।
वहीं ट्रेडिंग में पैसे बहुत जल्दी बन जाते हैं। पर यहाँ रिस्क थोड़ा ज्यादा होता है। क्योंकि प्राइस की मूवमेंट शॉर्ट टर्म में रैंडम होती है।
दोस्तों, इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग में सबसे बड़ा फर्क नज़रिये का होता है।
अगर हमने किसी कंपनी को स्टडी करके, उसके बिज़नेस को समझकर और ये सोचकर शेयर्स बाय किया है कि कंपनी लंबे समय में बहुत ग्रो करेगी
तो हम इसे इन्वेस्टमेंट कहेंगे। और अगर हमने किसी कंपनी के शेयर्स बिना कंपनी को स्टडी किये बस प्राइस के पैटर्न्स को देखकर किया है
ताकि जैसे ही प्राइस बढ़े हम उसे बेच कर प्रॉफ़िट्स कमा लें, तो हम इसे ट्रेडिंग कहेंगे।
दोस्तों, कंपनीयों को ध्यान से स्टडी करना और उसके बिज़नेस को समझने को हम फंडामेंटल एनालिसिस कहते हैं। और हमे इन्वेस्टमेंट करने से पहले कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस ज़रूर करना चाहिए पर अगर हम
बस कंपनियों के शेयर्स के प्राइस को स्टडी करते हैं और उसके पैटर्न को प्रेडिक्ट करने की कोशिश करते हैं तो हम इसे टेक्निकल एनालिसिस कहते हैं।
और हमे ट्रेडिंग करने से पहले शेयर्स का टेक्निकल एनालिसिस ज़रूर करना चाहिए। अगर आपको फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस के बारे में पता नही है
तो हमने इनके ऊपर एक वीडियो बनाया हुआ है। आप उस वीडियो को ज़रूर देखें।
आईये अब चलते हैं तीसरे सवाल पर। ट्रेडिंग के कितने टाइप्स होते हैं?
दोस्तों, ट्रेडिंग में बेसिकली 4 टाइप्स होते हैं। पहले टाइप के ट्रेडिंग को हम स्कैल्पींग कहते हैं।
इस तरह के ट्रेडिंग में हम शेयर्स को कुछ मिनट्स के लिए बाय करते हैं। और जैसे ही प्राइस थोड़ी सी भी बढ़ती है हम उसे बेचकर प्रॉफ़िट्स कमा लेते हैं। एग्जाम्पल के लिए अगर हम एक कंपनी के 10 हज़ार शेयर्स 100 रुपये के प्राइस पर बाय करें और कुछ मिनट्स बाद जब शेयर्स की प्राइस 100 रुपये से बढ़कर 100.50 रुपये हो जाये
तो उसे बेचकर 5000 रुपये का प्रॉफिट कमा लें तो इसे हम स्कैल्पींग कहेंगे।
दूसरे टाइप के ट्रेडिंग को हम इंट्राडे ट्रेडिंग कहते हैं। इस तरह की ट्रेडिंग में हम शेयर्स को कुछ घंटों के लिए रखते हैं। और सेम डे, मार्केट क्लोज होने से पहले तक शेयर्स को सेल करके प्रॉफिट कमाते हैं। तीसरी टाइप की ट्रेडिंग को हम स्विंग ट्रेडिंग कहते हैं।
इस तरह की ट्रेडिंग में हम शेयर्स को कुछ दिनों तक होल्ड करते हैं। और एक या दो वीक्स के अंदर शेयर्स को सेल करके प्रॉफ़िट्स कमाते हैं। और चौथे टाइप के ट्रेडिंग को हम पोजीशन ट्रेडिंग कहते हैं। इस तरह के ट्रेडिंग में हम शेयर्स को कुछ वीक से लेकर कुछ मन्थ्स तक होल्ड करते हैं।
और फिर उनको सेल करके प्रॉफिट कमाते हैं।
दोस्तों, अब हम आ गए हैं अपने आख़िरी सवाल पर। क्या ट्रेडिंग से रेगुलर इनकम कमाया जा सकता है?
दोस्तों, ट्रेडिंग से रेगुलर इनकम कमाना बिल्कुल पॉसिबल है। पर आसान नहीं। ट्रेडिंग से रेगुलर इनकम कमाने के लिए हमे सबसे पहले पैसो की ज़रूरत होगी। क्योंकि ट्रेडिंग में अगर हम प्राइस की छोटी मूवमेंट से अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं
तो हमे ज्यादा शेयर्स लेने पड़ेंगे। जिसके लिए हमे ज्यादा पैसो की ज़रूरत पड़ेगी। पैसो के साथ-साथ हमे टेक्निकल एनालिसिस की अच्छी नॉलेज होनी चाहिए।
तभी हम प्राइस के पैटर्न को समझ सकेंगे। और सही टाइम पर शेयर्स को बाय या सेल कर पाएंगे। इसके साथ-साथ हमे लॉस को कम से कम रखने के लिए स्टॉपलॉस के यूज़ को अच्छे से समझना होगा। स्टॉपलॉस के ऊपर हमने अलग से एक वीडियो बनाया हुआ है
आप उस वीडियो को ज़रूर देखें। और दोस्तों ट्रेडिंग में सबसे इम्पॉर्टेन्ट है लगातार अपनी गलतियों से सीखना।
और हार ना मानना। क्योंकि हर सक्सेसफुल ट्रेडर सक्सेसफुल तभी होता है जब वो लगातार अपनी ट्रेडिंग को अच्छा करता जाता है। तो अगर आप भी एक सफल ट्रेडर बनना चाहते हैं तो इन सारे पॉइंट्स को अच्छे से फॉलो करें।
तो दोस्तों, ये था हमारा आज का Post ट्रेडिंग के ऊपर।
इसमे हमने जाना कि ट्रेडिंग क्या होता है?
ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट में क्या फर्क है?
ट्रेडिंग के कितने टाइप्स होते हैं?
और क्या ट्रेडिंग से रेगुलर इनकम कमाया जा सकता है?
क्या है रेंज ट्रेडिंग
रेंज ट्रेडिंग एक सक्रिय निवेश रणनीति है जो टेक्निकल एनालिसिस अब हुआ आसान एक ऐसी सीमा की पहचान करती है जिस पर निवेशक कम अवधि में खरीदता है और बेचता है। उदाहरण के लिए, एक शेयर $ 55 पर व्यापार कर रहा है और आपको लगता है कि यह $ 65 तक बढ़ने जा रहा है, फिर एक सीमा में व्यापार अगले कई हफ्तों में $ 55 और $ 65 के बीच.
ट्रेड इसे $५५ पर शेयर खरीदकर व्यापार रेंज का प्रयास कर सकते हैं, तो अगर यह $६५ तक बढ़ जाता है बेच । व्यापारी इस प्रक्रिया को दोहराना होगा जब तक वह सोचता है कि शेयर अब इस सीमा में व्यापार करेंगे.
टाइंस रेंज के
रेंज ट्रेडिंग रणनीति का उपयोग करते समय सफलतापूर्वक व्यापार करना व्यापार करने के लिए व्यापारियों को श्रेणियों के प्रकारों को जानना और समझना चाहिए। यहां चार सबसे आम प्रकार की सीमा दी गई है जो आपको उपयोगी मिलेगी.
रेकीय रेंज - रेंज ट्रेडिंग रणनीति का उपयोग करते समय व्यापारियों को आयताकार सीमा दिखाई देगी, कम समर्थन और ऊपरी प्रतिरोध के बीच बग़ल में और क्षैतिज मूल्य आंदोलन होंगे, यह दौरान आम है अधिकांश बाजार की स्थिति.
चार्ट से यह देखना आसान है कि मुद्रा जोड़ी का मूल्य आंदोलन एक आयताकार (इसलिए नाम) सीमा बनाने वाले समर्थन और प्रतिरोध लाइनों के भीतर कैसे रहता है, जिससे व्यापारी स्पष्ट रूप से खरीद और बिक्री देख सकते हैं अवसर.
रेंज ट्रेडिंग रणनीति पर लब्बोलुआब
ट्रेडर्स जो रेंज ट्रेडिंग रणनीति का उपयोग करना चुनते हैं, उन्हें न केवल प्रकार की श्रेणियों को समझना होगा, बल्कि इसका उपयोग करने के पीछे पड़ी रणनीति को समझना होगा.
रेंज ट्रेडिंग रणनीति को कभी-कभी बहुत सरलीकृत होने के लिए आलोचना की जाती है, लेकिन वास्तविकता में यह कभी विफल नहीं हुआ। व्यापारियों को सीमा की पहचान करने, उनके प्रवेश के समय और जोखिम के अपने जोखिम को नियंत्रित करने की जरूरत है और निश्चित रूप से समझते हैं रणनीति के मूल सिद्धांत। रेंज ट्रेडिंग काफी लाभदायक हो सकती है
आपदा में जान गंवाने वालों की आसान होगी पहचान, टेक्निकल एनालिसिस अब हुआ आसान जानिए क्या है प्लान
अब हजारों डीएनए सैंपलों की मैंचिंग आसानी से हो सकेगी। इसके लिए पुलिस फॉरेंसिक लैब में जेनेटिक एनालिसिस की टेक्निकल एनालिसिस अब हुआ आसान तकनीक शुरू होने वाली है। इसमें विशेष सॉफ्टवेयर की मदद से कुछ ही सेकेंड में कई अलग-अलग डीएनए की मैचिंग होगी। ये तकनीक आपदा या किसी बड़े हादसे में बुरी तरह खराब हुए शवों की पहचान में बेहद कारगर साबित होगी।
डीआईजी पुलिस आधुनिकीकरण सेंथिल अबुदेई ने बताया कि अभी डीएनए मैचिंग की प्रक्रिया काफी लंबी है। इसके अलावा एक बार में सिर्फ दो ही सैंपल मैच कराए जा सकते हैं। जैसे पिछली केदारनाथ और रैंणी आपदा के वक्त बड़ी संख्या में ऐसे शव मिले, जिनकी पहचान मुश्किल थी। जो लोग भी इनमें अपने परिजनों को खोजने आ रहे थे, उनका सभी शवों से एक-एक कर डीएनए मिलान टेक्निकल एनालिसिस अब हुआ आसान करवाना काफी मुश्किल था, जो पूरी तरह हो भी नहीं पाया। लेकिन नई तकनीकी से किसी हादसे या आपदा में ऐसे जो भी शव मिलेंगे उनके डीएनए का एक डाटा बैंक बनाया जाएगा।
EMA – Exponential Moving Average का क्या इस्तेमाल है?
स्टॉक मार्केट में एक कांसेप्ट है – Market Price of Stock Discounts Everything,
यानि किसी स्टॉक का मार्केट price उस स्टॉक से जुडी सभी तरह के जानकारी को बता देता है, और इस कारण से स्टॉक का लेटेस्ट price सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट बन जाता है, Latest price Point में उस स्टॉक की सभी तरह की जानकारी शामिल मानी जाती है,
और इसी कारण से टेक्निकल एनालिसिस के समय सिंपल मूविंग एवरेज जो सभी data point को एक समान महत्व देता है, उसे उतना इफेक्टिव नहीं माना जाता है,
और मूविंग एवरेज के बेहतर इस्तेमाल के लिए Exponential Moving Average (EMA) को इस्तेमाल में लिया जाता है, क्योकि जैसा हमने पहले देखा EMA के कैलकुलेट करने के लिए हम LATEST DATA POINT को ज्यादा महत्व देते है,
और इसी कारण से EMA का इस्तेमाल करके हम स्टॉक के Price movement और stock के bullish या bearish trend को कन्फर्म करते है,
EMA – Exponential Moving Average का कैलकुलेशन
दूसरी तरफ अगर बात की जाये Exponential Moving Average (EMA) को कैलकुलेट करने की तो EMA को कैलकुलेट करना थोडा MATHEMATICAL हो सकता है,
लेकिन चार्टिंग सॉफ्टवेयर की मदद से इस आसानी से कैलकुलेट किया जा सकता है,
चार्टिंग सॉफ्टवेयर में बस आपको EMA नाम के TOOLS को सेलेक्ट करना होगा, और बाद में आपको सॉफ्टवेयर में ये INPUT लिखना होगा कि आप कितने समय (TIME FRAME) के अनुसार EMA कैलकुलेट करना चाहते है,
जैसे – 5 DAYS, 10 DAYS, 15 DAYS, 20 DAYS, 50 DAYS,
और इस तरह आप बड़ी आसानी से आपको चार्ट पर एक EMA की लाइन मिल जाएगी,
इसके अलावा अगर बात बात की जाये कि EMA को कैलकुलेट करने के पीछे क्या PROCCESS है तो वो कुछ इस प्रकार है –
अगर किसी स्टॉक का १ से 20 तारीख का DATA दिया हुआ है, और हमें 5 DAYS का EMA निकालना है तो सबसे लेटेस्ट DATA यानि पांचवे और चौथे दिन के DATA को महत्वपूर्ण मानते हुए LATEST DATA POINT को एक खास WEIGHTAGE (भार) दिया जाता है , और फिर उसके अनुसार EMA कैलकुलेट किया जाता है,
EMA – Exponential Moving Average के ऊपर कैसे टेक्निकल एनालिसिस अब हुआ आसान TRADE लिया जाये?
ध्यान देने वाली बात ये है कि सिर्फ MOVING AVERAGE चाहे SMA हो या EMA, इन के आधार पर भी आप स्टॉक खरीद और बेच सकते है,
जैसा आपको पता है कि SMA या EMA चार्ट में कैलकुलेट करने पर टेक्निकल एनालिसिस अब हुआ आसान हमें एक MOVING AVERAGE LINE मिल जाती है,
अब इस LINE को ध्यान में रखते हुए हम TRADE ले सकते है,
आइए जानते है कैसे ?
- CURRENT PRICE अपने AVERAGE PRICE से ऊपर होने पर – अगर स्टॉक का करंट प्राइस अपने मूविंग एवरेज की लाइन से ऊपर जा रहा है, इसका मतलब मार्केट BULLISH है और इसलिए हम भी स्टॉक खरीद सकते और बुलिश ट्रेंड का लाभ उठा कर प्रॉफिट बुक कर सकते है,
- CURRENT PRICE अपने AVERAGE PRICE से नीचे होने पर टेक्निकल एनालिसिस अब हुआ आसान – अगर स्टॉक का करंट प्राइस अपने मूविंग एवरेज की लाइन से नीचे जा रहा है, इसका मतलब मार्केट BEARISH है और इसलिए हम भी स्टॉक में SHORT SELLING के मौके की तलाश करना चाहिए, ताकि BERAISH TREND का लाभ उठाया जा सके,.
- SIDEWAYS MARKET – ध्यान देने वाली बात ये है कि MOVING AVERAGE SIDEWAYS TREND में सही तरह से काम नहीं करता है, और इसलिए SIDEWAYS MARKET के समय आपको इसका इस्तेमाल करते समय बहुत सावधानी रखनी चाहिए,
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