इस अध्याय के माध्यम से हम जानेंगे डॉ. मनमोहन सिंह (Dr Manmohan Singh) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस विषय में दिए गए डॉ. मनमोहन सिंह से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी। Dr Manmohan Singh Biography and Interesting Facts in Hindi.
डॉ. मनमोहन सिंह का संक्षिप्त सामान्य ज्ञान
नाम | डॉ. मनमोहन सिंह (Dr Manmohan Singh) |
जन्म की तारीख | 26 सितंबर 1932 |
जन्म स्थान | गाह, पंजाब |
माता व पिता का नाम | अमृत कौर / गुरुमुख सिंह |
उपलब्धि | 2004 - भारत के प्रथम सिख प्रधानमंत्री |
पेशा / देश | पुरुष / राजनीतिज्ञ / भारत |
डॉ. मनमोहन सिंह (Dr Manmohan Singh)
डॉ. मनमोहन सिंह भारत के 13वें प्रधानमंत्री के रूप में प्रसिद्ध है। वह अपनी नम्रता, कर्मठता और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। वे एक अर्थशास्त्री भी हैं। डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 के आम चुनाव के बाद 22 मई 2004 को प्रधानमंत्री के रूप के शपथ ली और 22 मई 2009 को दूसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने। मनमोहन सिंह की पत्नी का नाम श्रीमती गुरशरण कौर है। मनमोहन सिंह और अमृत कौर की 3 बेटियां हैं।
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म
डॉ मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितम्बर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रान्त के एक गाँव में हुआ था। इनके माता का नाम अमृत कौर और पिता का नाम गुरुमुख सिंह था| इन्होने अपनी माता का हेडगे कोष क्या है? बचपन में ही खो दिया था माता की मृतु के बाद इनका लालन पालन इनकी दादी ने किया था जो एक गरीब परिवार से थी|
डॉ. मनमोहन सिंह की शिक्षा
भारत देश के विभाजन के बाद मनमोहन सिंह का परिवार भारत चला आया। यहाँ पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पूरी की। बाद में वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गये। जहाँ से उन्होंने पीएच. डी. की डिग्री हासिल की। तत्पश्चात् उन्होंने आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी. फिल. भी किया। उनकी पुस्तक इंडियाज़ एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ भारत की अन्तर्मुखी व्यापार नीति की पहली और सटीक आलोचना मानी जाती है।
डॉ. मनमोहन सिंह का करियर
डॉ. मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में शिक्षक के रूप में कार्य किया जो उनकी अकादमिक श्रेष्ठता दिखाता है। इसी बीच में कुछ वर्षों के लिए उन्होंने यूएनसीटीएडी सचिवालय के लिए भी कार्य किया। इसी के आधार पर उन्हें 1987 और 1990 में जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव के रूप में नियुक्ति किया गया। डॉ॰ सिंह ने अर्थशास्त्र के अध्यापक के तौर पर काफी ख्याति अर्जित की। वे पंजाब विश्वविद्यालय और बाद में प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकनामिक्स में प्राध्यापक रहे। इसी बीच वे संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन सचिवालय में सलाहकार भी रहे और 1987 तथा 1990 में जेनेवा में साउथ कमीशन में सचिव भी रहे। प्रधानमन्त्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। साल 1971 में मनमोहन सिंह भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किये गये थे। साल 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। नमोहन सिंह 16 सितम्बर 1982 से 14 जनवरी 1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर पद पर भी कार्यरत रहे है। 1985 में राजीव गांधी के शासन काल में मनमोहन सिंह को भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था इसके अतिरिक्त उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और एशियाई विकास बैंक के लिये भी काफी महत्वपूर्ण काम किया है। साल 2002 में मनमोहन सिंह को सर्वश्रेष्ठ सांसद के सम्मान से सम्मानित किया गया था। मनमोहन सिंह ने 22 मई 2004 को देश के पहले सिख प्रधानमंत्री के रूप के शपथ ली। जिसके बाद वे भारत के पहले ऐसे व्यक्ति बन गए जिन्होंमे भारत सरकार के लिए गवर्नर और प्रधानमंत्री के पद पर कार्य किया। लोकसभा चुनाव 2009 में मिली जीत के बाद मनमोहन सिंह जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बने, जिनको 5 सालों का कार्यकाल सफलता पूर्वक पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला। इसके अतिरिक्त उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और एशियाई विकास बैंक के लिये भी काफी महत्वपूर्ण काम किया है।
डॉ. मनमोहन सिंह के पुरस्कार और सम्मान
डॉ. मनमोहन को मार्च 1983 में, पंजाब यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टर ऑफ लेटर्स से सम्मानित किया गया 1997 में, अल्बर्टा विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद डॉक्टर ऑफ लॉ की डिग्री से सम्मानित किया। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने उन्हें जुलाई 2005 में डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ की मानद उपाधि से सम्मानित किया, और अक्टूबर 2006 में, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने भी उसी सम्मान के साथ पालन किया। डॉ. मनमोहन सिंह छात्रवृत्ति के बाद सेंट जॉन्स कॉलेज ने उन्हें पीएचडी छात्रवृत्ति का नाम देकर सम्मानित किया। 2008 में, उन्हें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया या और बाद में उसी वर्ष उन्हें मद्रास विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। 2010 में, उन्हें राजा सऊद विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था 2013 में, उन्हें मास्को स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। 2017 में शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
"दारो" शब्दकोश में हिन्दी का अर्थ
हिन्दी साहित्य, उद्धरणों और समाचारों में दारो के बारे में उपयोग के उदाहरण
हिन्दी किताबें जो «दारो» से संबंधित हैं
निम्नलिखित ग्रंथसूची चयनों में दारो का उपयोग पता करें। दारो aसे संबंधित किताबें और हिन्दी साहित्य में उसके उपयोग का संदर्भ प्रदान करने वाले उनके संक्षिप्त सार।.
७७. पढमें अधम्मजुचं, पडिलोमें अल उवन्नासं । दुरुवणियं तु चउत्यं, अधम्मजुत्तरिम नलदामो४ ।।दारो। ७८० पडिलोसे जह अभओ, पउजोयं हरह अवहिओं संतो : गोविदवायगो वि य, जह परपवखं नियति 1. ७९.
महाराज को आते देख दारोग़ा चैतन्य हो गयाऔर सामने हाथ जोड़करबोला, ''लाचार महाराज को तक़लीफ़ देनी पड़ी।'' महाराज : क्या मामला है? दारो : वह ऐयार मर गया िजसे दीवान रामानन्द जी ने .
ईगाम:--प-दारो-णीहाँ ज़हीर 'देहलवी' निकाले-बल्ले-इकबाल पायस:: हुए गुल८नियाजे८खिलाफ्त3 लहु में लाल हुए यह यया कमाल हुए और क्या ज़वाल' हुए कमाल को भी न पहुचे थे जो ज़वाल हुए जो इत्र .
हृत दारो वने त्रस्तः भ्रात्रा िविनकृतः भृशम्॥४४२७॥ किरष्यित स साहाय्यम् युवयोः भास्करात्मजः। सुग्रीवः सह च अस्मािभः सीतायाः पिरमार्गणे॥४४२८॥ इित एवम् उक्त्वा हनुमान् .
दारो: भालेभखडिरातकर्षरिर्थमबीसनंसूपीनिप्र- औभीर्मक्रिपरायल विम जिजगता"र्णहुँजिमियेत्प्रय: । चथगुजिनाहार: का १ यमचखजमाधिकांक्रियश्व: पुकाईयस, जो . कि: . चचा . च ३है अथ ब है .
अज सरे बालीने मन बर खेज है नादाँ तबीब दर्द मन्द इश्क रा दारो- बखैर दीदार नीस्त । मा व इश्क यार, अगर पर वियना, गर दर बुतक्ला, आशिकान दोस्त रा बकक्रोमु-ईमां कार नीस्त । खल्क, भी गोया के .
कात्तात्यया" यष्टिष्टच चैखाभासास्तु पन्त्रधा । 'आद्यद्र सस्थार - नुपरु'दारो विघावैकात्तिकैरभवैत् । य: सपक्षे बिपक्षे च अ२बीशस्थारणन्तु से: णस्तु स्यात् स्याइसाघारणेमनदृ ।
मोहेन जो दारो येथील उत्खनन स्थळ हे प्राचीन काळी झालेल्या अणुस् फोटात बेचिराख इाले असावे, असा विश्वास या दोन्ही विद्वानांनी या पेपरमध्ये व्यक्त केला आहे. हराप्पा आणि .
पण मोहन है जो - दारो देबीत उधिननलंतर भारतीय संचिती अधि सभाता यधिर समेत त्याही पुर्णगा आहे है सिपर शोले अहि. मोहन - जो है दारो येश्शेल अखननात सापलो अवशेष पप्रा हजादृकुन अधिक .
«दारो» पद को शामिल करने वाली समाचार सामग्रियां
इसका पता लगाएं कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रेस ने निम्नलिखित समाचार सामग्रियों के बारे में क्या चर्चा की है और इस संदर्भ में दारो पद का कैसे उपयोग किया है।
खबरी ने कहा 'रितिक अपनी फिल्म 'मोहनजो दारो" की शूटिंग भुज में कर रहे थे। उन्होंने शिल्पा को प्रॉमिस किया था कि वो इस इवेंट में शामिल होंगे। मगर शूटिंग के कारण वो सही समय पर एअरपोर्ट पर नहीं पहुंच सके।' ताजा खबर : फिर हेडगे कोष क्या है? चला शाहरुख-काजोल का . «Nai Dunia, नवंबर 15»
सीबीआइ ने मदन मित्र की जमानत खारिज करने के लिए अदालत में एक याचिका दायर की थी। उसी पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने यह निर्देश दिया। न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची और मंीर दारो सेको की खंडपीठ ने सीबीआइ की याचिका पर सुनवाई के दौरान मित्र को . «Jansatta, नवंबर 15»
फैजाबाद 4 नवंबर 2015। इंसाफ अभियान उत्तर प्रदेश की तरफ से फैजाबाद के पत्रकारिता प्रशिक्षण संस्थान में वर्तमान राजनीति और युवा नेतृत्व पर परिसंवाद का आयोज किया गया। जिसमें छात्र-नौजवान और बुद्धिजीवी शामिल हुए। परिसंवाद ने देश में बढ़ . «hastakshep, नवंबर 15»
रजागंज क्षेत्र के गांव कोटवरा, रजागंज, खामौल, केसवापुर, जलालपुर, सियाथु, करनपुर टिहुलिया, बख्खारी सहित कई गावो में ़गमगीन माहौल ताजिये दारो ने ताजियों को कर्बला ले जाकर नम आंखों से दफन किया। Sponsored. मोबाइल पर भी अपनी पसंदीदा खबरें . «दैनिक जागरण, अक्टूबर 15»
निखिल के करीबी ने बताया 'रितिक के पास समय नहीं है। वो एक समय में एक ही फिल्म करते हैं। आशुतोष गोवारिकर की मोहनजो दारो के बाद वो विजय कृष्ण आचार्य की अगली फिल्म में जुट जाएंगे। ऐसे में नए प्रोजेक्ट को लेकर वो कुछ नहीं कह सकते।' खबर कैसी . «Nai Dunia, अक्टूबर 15»
इस दौरान वो अपनी अगली फिल्म 'मोहनजो दारो' की शूटिंग में बिजी हो गए थे। अब वो यहां शिफ्ट हो गए हैं। अक्षय भी इसी बिल्डिंग में रहते हैं।' खबरी ने बताया, 'एक्टर ने पिछले महीने फ्लैट का इंटीरियर और रैनोवेशन का काम करवाया है। वो घर में हर चीज नई . «दैनिक जागरण, जुलाई 15»
जी हां, और वो इस बार जिसके प्यार में पडे हैं, वो उनकी नई फिल्म "मोहनजो दारो" की हीरोइन पूजा हेग़डे हैं। रितिक रोशन अपनी फिल्म "मोहनजो दारो" में पूजा हेग़डे के साथ रोमांस फरमाते नजर आएंगे। इस फिल्म के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर आशुतोष . «khaskhabar.com हिन्दी, मई 15»
पूजा ने टि्वटर पर अपने फैंस को बताया कि उन्होंने फिल्म 'मोहनजाे दारो' का 101 दिनों का शूटिंग शेड्यूल पूरा कर लिया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'भुज में 101 दिनों का शूटिंग शेड्यूल पूरा किया है। बहुत ही शानदार टीम थी।' 'मोहनजाे दारो' पूजा की . «Nai Dunia, मई 15»
'मोहनजो दारो' की शूटिंग के दौरान लोग हो रहे हैं बेहोश : रितिक रोशन · रितिक और कबीर बेदी के बीच होगी टक्कर! 101 दिनों में एक्ट्रेस पूजा हेगड़े ने पूरा किया 'मोहनजोदड़ो' का शूट · 2016 में रिलीज हाेगी रितिक की 'मोहनजोदड़ो' · भुगतान के कारण रुका . «Nai Dunia, अप्रैल 15»
मुंबई : फिल्म 'पीके' में न्यूड पोज देकर पहले अभिनेता आमिर खान ने खलबली मचाई, अब 'बैंग बैंग' स्टार ऋतिक रोशन भी कुछ ऐसा ही आशुतोष गोवारिकर की फिल्म 'मोहेनजो दारो' में करने वाले हैं। फिल्म से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि इस फिल्म में ऋतिक . «Current Crime, मार्च 15»
ताजा खबरें | अनुपूरक चर्चा तीन अंतिम रास
Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. उन्होंने कहा कि राज्य आपदा जोखिम प्रबंधन कोष के लिए केंद्र राज्य की हिस्सेदारी में परिवर्तन कर पांच साल के लिए इसका अनुपात 75:25 किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ज्यादा बेहतर होता कि यह हिस्सेदारी पूर्वोत्तर राज्यों की तर्ज पर 90:10 के अनुपात में होती।
उन्होंने कहा कि राज्य आपदा जोखिम प्रबंधन कोष के लिए केंद्र राज्य की हिस्सेदारी में परिवर्तन कर पांच साल के लिए इसका अनुपात 75:25 किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ज्यादा बेहतर होता कि यह हिस्सेदारी पूर्वोत्तर राज्यों की तर्ज पर 90:10 के अनुपात में होती।
नंदा ने कहा कि केंद्रीय योजनाओं के लिए जो धन जारी किया जाता है वह सीधे कार्यान्वयन एजेंसियों को दिया जाता है और राज्य सरकार के कोष की अनदेखी की जाती है।
उन्होंने केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए केंद्र राज्य की हिस्सेदारी में भी बदलाव करने की मांग की और कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत केंद्र की हिस्सेदारी कम कर दी गई है जबकि यह बहुत ही अच्छी योजना है।
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के वी विजय साई रेड्डी ने कहा कि संप्रग सरकार के कार्यकाल में नवंबर 2013 के दौरान मुद्रास्फीति की दर सर्वाधिक, 19.93 फीसदी थी जबकि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में यह 4.7 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने महामारी काल के दौरान कारपोरेट कर घटने की बात की जबकि ऐसा नहीं है और महामारी काल में यह सर्वाधिक 32 फीसदी थी।
रेड्डी ने कहा ‘‘संप्रग सरकार के कार्यकाल में वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की जीडीपी शीर्ष दसवें स्थान पर थी जो आज पांचवे स्थान पर है।’’
उन्होंने कहा कि अनुदान की अनुपूरक मांगें देख कर यह बात साफ हो जाती है कि केंद्र सरकार उन्हें बजट में शामिल कर सकती थी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जीएसटी की क्षतिपूर्ति लगातार कम कर रही है जबकि विभाजन के बाद से आंध्र प्रदेश घोर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।
रेड्डी ने कहा कि पोलावरम परियोजना में पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की नीतियों की वजह से इतना अधिक विलंब हो गया है कि अब इसकी लागत ही कई गुना अधिक बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि अभी भी इस परियोजना के जल्द पूरे होने के आसार नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार एक ओर ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ की बात करती है वहीं दूसरी ओर वह उर्वरक के आठ पीएसयू का निजीकरण करने की योजना बना रही है। यह स्थिति तब है जब देश में उर्वरक की कमी है और देश के पीएसयू इस चुनौती का सामना कर सकते हैं।
रेड्डी ने यह भी कहा कि जिन पीएसयू के निजीकरण की योजना है, वे घाटे में नहीं चल रहे हैं।
जनता दल (यूनाइटेड) सदस्य अनिल प्रसाद हेगड़े ने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देने की बात की जा रही है लेकिन इसके लिए सभी राज्यों को केंद्र की ओर से मदद दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उर्वरक की कमी के चलते बाहर से कुछ उर्वरक का आयात किया जा रहा है और विशेषज्ञों का मानना है कि इस आयातित उर्वरक की वजह से पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों, दोनों जगहों पर बेरोजगारी बढ़ रही है जिसका समाधान निकालना जरूरी है।
असम गण परिषद के वीरेंद्र प्रसाद वैश्य ने कहा कि एक के बाद एक कर दुनिया के देश मंदी की गिरफ्त में आ रहे हैं और विकसित देश भी इससे बच नहीं पाए हैं। ‘‘ऐसी स्थिति में भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था उम्मीद जगाती है।’’
उन्होंने कहा कि चीन के साथ लगने वाली भारत की सीमा पर हुए हालिया विवाद का बार बार जिक्र किया जाता है। उन्होंने कहा कि हमें यह याद रखना चाहिए कि आज 1962 वाली स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा कि आज भारत खुद को बहुत मजबूत बना चुका है और उससे टकराना आसान नहीं है।
वैश्य ने सीमाई इलाकों में अवसंरचना को और अधिक मजबूत करने की हेडगे कोष क्या है? मांग की।
अन्नाद्रमुक सदस्य डॉ एम थंबीदुरै ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि किसानों के कल्याण के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं लेकिन इन्हें पर्याप्त नहीं कहा जा सकता।
उन्होंने तमिलनाडु का जिक्र करते हुए कहा कि आज देश में निवेश पर्याप्त हो रहा है लेकिन कानून व्यवस्था की स्थिति भी ऐसी होनी चाहिए कि और अधिक निवेश आए। इस पर द्रमुक सदस्यों ने आपत्ति जताई। तब थंबीदुरै हेडगे कोष क्या है? ने कहा ‘‘यह राज्यों की परिषद है और यहां मुद्दे उठाए जा सकते हैं।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)
हेडगे कोष क्या है?
रायपुर। कोरोना वायरस (कोविड-19) की महामारी से रोकथाम के लिए नगरीय प्रशासन एवं विकास तथा श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने आज अपना एक माह का वेतन मुख्यमंत्री सहायता कोष में जमा करा दिया। विगत कुछ दिनों से लॉकडाउन की वजह से उनके द्वारा वेतन की राशि मुख्यमंत्री सहायता कोष में राशि जमा नहीं कराई जा सकी थी। आज मंत्रालय के स्टेट बैंक शाखा में उन्होंने अपने वेतन की राशि 1 लाख 30 हजार रुपए जमा किया। इस दौरान मंत्री डॉ.डहरिया ने कहा है कि कोरोना संक्रमण से देश और हमारा राज्य प्रभावित है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश में कोरोना से निपटने की पूरी कोशिश की जा रही है और विगत कुछ दिनों से कम होती संख्या से सम्भावना है कि आने वाले दिनों में और राहत मिलेगी।
उन्होंने कहा कि कोविड से निपटने आर्थिक ही नहीं सभी प्रकार के सहयोग की आवश्यकता है। गतवर्ष बहुत से लोगों ने मुख्यमंत्री राहत कोष में यथासंभव अपना सहयोग प्रदान किया था। इस साल भी इस आपदा से निपटने के लिए सबके सम्मिलित सहयोग की जरुरत है। इसलिए हमने अपने एक महीने का वेतन मुख्यमंत्री सहायता कोष में समर्पित किया है। उन्होंने आम जनता से भी अपील की है कि घर पर रहें और शासन के नियमों का धैर्यपूर्वक पालन करें। उन्होंने आग्रह किया है कि जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आएं और यथासम्भव मुख्यमंत्री सहायता कोष में सहयोग राशि जमा करके अपना योगदान दें। इससे जरूरतमंदों को मदद करने में आसानी होगी।
Chhattisgarh
धान खरीदी महाभियान: किसानों से अब तक 58 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीदी
राज्य के 14.66 लाख किसानों को 11,640 करोड़ का भुगतान कस्टम मिलिंग के लिए तेजी से हो हेडगे कोष क्या है? रहा धान का उठाव: अब त�
गोधन न्याय योजना ग्रामीणों के छोटे-छोटे सपने पूरे करने में बन रही मददगार: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल
दो वर्षो में हितग्राहियों को किया गया लगभग 380 करोड़ रूपए का भुगतान खेतों से गौठानों तक पैरा लाने
छत्तीसगढ़ एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर हुआ सम्मानित
छत्तीसगढ़ के ’’मोर मयारू गुरूजी’’ कार्यक्रम को मिला राष्ट्रीय सिल्वर स्कोच अवार्ड मंत्री श्�
प्रशासन गांव की ओर अभियान 19 से 25 दिसंबर तक
सुशासन सप्ताह में होगा जनशिकायतों का समाधान विशेष शिविरों के साथ ही कार्यशाला भी आयोजित होंग
साकार हो रहा है पुरखों, किसानों, नौजवानों का सपना: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ गौरव दिवस के वर्चुअल कार्यक्रम को किया सम्बोधित ’मुख्यमंत्री वृक्ष
छत्तीसगढ़ गौरव दिवस पर प्रदर्शनी: राज्य सरकार की उपलब्धियों को लोगों ने सराहा
राजधानी रायपुर में जनसंपर्क विभाग की प्रदर्शनी रायपुर। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृ�
लघु वनोपज ने किया मालामाल…. घर से निकलीं महिलायें..समूह से जुड़कर प्रोसेसिंग की और सिर्फ तीन माह में हुयी 5 लाख से ज्यादा की आमदनी
राज्य में पिछले चार साल में लघु वनोपज संग्राहकों को किया गया 345 करोड़ का भुगतान..एसएचजी की संख्य�
सुदूर वनांचल साल्हेवारा और बकरकट्टा की अब नक्सलवाद नहीं विकास बनी पहचान
राज्य में अब तक 4 हजार से अधिक हाट बाजार क्लीनिक से 63 लाख ग्रामीणों को मिला लाभ रायपुर। छत्तीसग�
अब बच्चे पढ़ेंगे भी और भविष्य भी गढ़ेंगे : नक्सल घटनाओं में 56 फीसदी की कमी आयी तो बीते चार साल में बस्तर संभाग के बिजली विहीन 196 गांव हुये रोशन
सुकमा जिले के सिलगेर, कोलईगुड़ा, कमारगुड़ा सहित दुर्गम इलाके में 5 हजार से अधिक परिवार के घरों का अ
सरकार की योजनाओं से छत्तीसगढ़ वासियों में आई खुशहालीः मुख्यमंत्री श्री बघेल
छत्तीसगढ़ गौरव दिवस का ऐतिहासिक टॉउन हॉल में आयोजन वीडियो कान्फ्रेसिंग से मुख्यमंत्री बघेल न�
आईआईएफटी, टीपीसीआई ने कृषि निर्यात, आयात प्रबंधन में सर्टिफिकेट कार्यक्रम के लिए हाथ मिलाया
टीपीसीआई ने वाणिज्य मंत्रालय के तहत भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) के साथ हाथ मिलाया है. इस भागीदारी के तहत दो . अधिक पढ़ें
- भाषा
- Last Updated : September 09, 2021, 01:00 IST
नई दिल्ली . भारतीय व्यापार संवर्द्धन परिषद (टीपीसीआई) ने वाणिज्य मंत्रालय के तहत भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) के साथ हाथ मिलाया है. इस भागीदारी के तहत दोनों संयुक्त रूप से कृषि आयात और निर्यात प्रबंधन पर एक ऑनलाइन सर्टिफिकेट कार्यक्रम की पेशकश करेंगे.
एक बयान में कहा गया है कि यह छह माह का ऑनलाइन कार्यक्रम निर्यातकों को कृषि व्यापार के विभिन्न पहलुओं के बारे में व्यावाहारिक ज्ञान उपलब्ध कराएगा. इनमें उत्पाद से लेकर बाजार की पहचान, निर्यात और आयात की प्रक्रियागत औपचारिकताएं, एक्जिम वित्त, नियामकीय मंजूरियां, लॉजिस्टिक्स और अंतरराष्ट्रीय खरीदारों से सुरक्षित भुगतान का निपटान शामिल है.
आईआईएफटी के कुलपति मनोज पंत ने कहा कि कुछ संरचनात्मक चुनौतियों को हल करने और कृषि उत्पादों के विपणन में उपलब्ध अवसरों के दोहन के लिए संस्थान ने टीपीसीआई के साथ सर्टिफिकेट कार्यक्रम के लिए हाथ मिलाया है.
कृषि उत्पादों का अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रोत्साहित होगा
उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम विशेष रूप से कृषि व्यापार से जुड़े मौजूदा और संभावित लोगों के कौशल को बेहतर करेगा. उन्हें सूचना और ज्ञान उपलब्ध कराया जाएगा जिससे वे आसानी से कृषि उत्पादों का अंतरराष्ट्रीय व्यापार कर सकेंगे.
टीपीसीआई के फूड और बेवरेज क्षेत्र की समिति के चेयरमैन विवेक अग्रवाल ने कहा कि इस कार्यक्रम से मौजूदा और उदीयमान कृषि उद्यमियों और प्रबंधकों को मदद मिलेगी.
किसानों की आय को दोगुना करने में कृषि निर्यात की महत्वपूर्ण भूमिका
खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि किसानों की आय को दोगुना करने में कृषि निर्यात की महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने कृषि निर्यात के क्षेत्र में शीर्ष पांच देशों में भारत को पहुंचाने के लिए कृषि निर्यात को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया.
एक सरकारी बयान के अनुसार, गोयल और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की पहल और योजनाओं पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन के दूसरे दिन बैठक को संबोधित किया.
कार्यक्रम में बोलते हुए तोमर ने राज्यों से कृषि आधारभूत ढांचा कोष का लाभ उठाने के लिए कहा ताकि लाभ छोटे और सीमांत किसानों को मिल सके, जिनके पास खेत के निकट भंडारण और ‘कोल्ड स्टोरेज’ (शीत भंडारगृह) की सुविधा नहीं है.
देश में स्मार्ट खेती बढ़ेगी
डिजिटल कृषि मिशन के बारे में उन्होंने कहा कि किसानों का डेटाबेस हमारी संपत्ति है और इससे देश में कार्यक्रम केंद्रित वितरण किया जा सकेगा, धन का रिसाव कम होगा, बेहतर नीति निर्माण किया जा सकेगा और देश में स्मार्ट खेती बढ़ेगी.
उन्होंने कहा कि 5.5 करोड़ किसानों का डेटाबेस तैयार है और अन्य को भूमि रिकॉर्ड के साथ सत्यापित करने का काम चल रहा है. तोमर ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में पाम तेल के लिए राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- आयल पॉम (एनएमईओ-ओपी) को मंजूरी दी है, जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर ध्यान केंद्रित किया गया है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 493