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स्टॉक मार्केट से कितना अलग है Cryptocurrency का बाजार, कम पैसे में कहां मिल रहा ज्यादा रिटर्न
क्रिप्टो जब चढ़ता है तो लगातार उसके भाव चढ़ते हैं और जब गिरता है तो लगातार दाम गिरते हैं. स्टॉक से इसका सीधा संबंध नहीं है. इसलिए जब भी अपना पोर्टफोलिया बनाएं, यह सोच कर बनाएं कि क्रिप्टो में निवेश कर रहे हैं तो भारी उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहना चाहिए.
यह सवाल आज हर उस आदमी के मन में उठ रहा है जो बिटकॉइन (Bitcoin), इथीरियम (Ethereum) और डोजकॉइन (Dogecoin) जैसी क्रिप्टोकरंसी (Cryptocurrency) में निवेश कर रहे हैं. लोग अपने इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में क्रिप्टोकरंसी को शामिल करना चाहते हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि दोनों का अस्तित्व अलग है और बाजार भी. खरीदने-बेचने का तरीका भी एक दूसरे से भिन्न है. दोनों का एसेट क्लास भी अलग है और बाजार में इनका बर्ताव देखें तो दोनों के बीच 36 का आंकड़ा होता है. ऐसे में स्टॉक में क्रिप्टोकरंसी को शामिल करना कितना जायज है?
एक्सपर्ट की मानें तो दोनों को एक साथ आना भी नहीं चाहिए. इससे निवेशक को फायदा होगा. क्रिप्टो और स्टॉक में अंतर है, तो यह निवेश के लिए सही है. दरअसल, स्टॉक किसी कंपनी में इक्विटी होता है. जब आप किसी कंपनी में शेयर खरीदते हैं तो उस कंपनी का कुछ हिस्सा आपके नाम हो जाता है. कंपनी की कुछ प्रोपर्टी आपके खाते में चली जाती है. क्रिप्टोकरंसी के साथ ऐसा नहीं है.
दोनों को समझना जरूरी
स्टॉक और क्रिप्टोकरंसी में निवेश के लिए दोनों को समझना जरूरी है. स्टॉक के जरिये किसी कंपनी में शेयर खरीदने के साथ ही कुछ अधिकार आपके हाथ में आ जाता है. हो सकता है कि कंपनी के ऑपरेशन पर आपका हक नहीं है, लेकिन उस कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में कौन बैठेगा, इसके लिए जब वोटिंग होगी तो आप उसमें हिस्सा ले सकते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कंपनी की प्रोपर्टी के आप भी हकदार हैं. जैसे ही कोई और व्यक्ति उस कंपनी का सामान खरीदता है, आपके शेयर में कुछ और प्रोपर्टी जुड़ जाती है. स्टॉक का सारा खेल इसी आधार पर चलता है.
शेयर खरीदने का फायदा
कोई कॉरपोरेशन स्टॉक बेचता है और कंपनी का कुछ कंट्रोल दूसरे को दे देता है ताकि फंड जुटाया जा सके. इस फंड से कंपनी का बिजनेस बढ़ता है. कंपनी बिकती है तो कर्मचारी भी बाहर हो सकते हैं. इन कर्मचारियों को कंपनी की तरफ से कुछ शेयर दिए जा सकते हैं. कैश दिए जाने से बचा जाता है क्योंकि वह कैश कंपनी के बिजनेस में इस्तेमाल हो सकता है. कोई कंपनी पब्लिक स्टॉक ऑफरिंग लाती है ताकि और स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो करेंसी में अंतर? फंड जुटाया जा सके. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कंपनी अपने पुराने शेयरहोल्डर्स को शेयर बेचती है और उसके बदले कैश लेती है.
क्रिप्टो का बाजार क्या है
क्रिप्टोकरंसी में ऐसी बात नहीं होती. क्रिप्टोकरंसी का सीधा मतलब है डिजिटल करंसी. यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है. यह टेक्नोलॉजी खरीदारों को सिक्योर पेमेंट की सुविधा देती है. क्रिप्टोकरंसी कभी भी सेंट्रल बैंक के सहारे नहीं चलती बल्कि इसका धंधा कंप्यूटर के नेटवर्क के जरिये चलता है और उसी के माध्यम से ट्रांजेक्शन होता है. आप जो भी ब्लॉकचेन इस्तेमाल करेंगे, उससे क्रिप्टोकरंसी खरीद सकते हैं.
उदाहरण के लिए बिटकॉइन का ब्लॉकचेन कुछ सिक्के खरीदारों के लिए जारी करता है. ब्लॉकचेन पर ये सिक्के एक ही बार में जारी नहीं होते बल्कि कुछ-कुछ की मात्रा में एक खास ब्लॉक में जारी किया जाता है. जब उस ब्लॉक के सिक्के की बिक्री हो जाती है तो दूसरे ब्लॉक में सिक्के उतारे जाते हैं. ब्लॉकचेन पर क्रिप्टो की खरीदारी के लिए ट्रांजेक्शन के रूप में क्रिप्टोकरंसी ही दी जाती है. इथीरियम क्रिप्टोकरंसी इथीरियम ब्लॉकचेन पर चलती है. लेकिन इस ब्लॉकचेन का अन्य क्रिप्टो कॉइन भी इस्तेमाल करती हैं. यूनीस्वैप (uniswap) नाम का प्रोजेक्ट इथीरियम ब्लॉकचेन पर चलता है. इसका अपना कोई एक्सचेंज नहीं है, इसलिए यह इथीरियम के ब्लॉकचेन का उपयोग करता है.
टोकन में भी लगा सकते हैं पैसा
इसका मतलब यह हुआ कि यूनिस्वैप यूजर को इथीरियम के ब्लॉकचेन के अंतर्गत ही खरीदारी करनी होगी. आप चाहें तो क्रिप्टोकरंसी के टोकन डायरेक्ट खरीद सकते हैं. यूनीस्वैप की तरह डेफी प्रोजेक्ट के टोकन भी बेचे जाते हैं जो यूटिलिटी टोकन होते हैं. इसी तरह कुछ गवर्नेंस टोकन भी होते हैं. यूनीस्वैप पूरी तरह से गवर्नेंस टोकन है. अब आप जब भी निवेश करने चलें तो ध्यान दें कि स्टॉक में या क्रिप्टो में पैसा लगाने जा रहे हैं. आप टोकन में भी लगा सकते हैं, लेकिन सबका प्रोफिट देने का तरीका अलग-अलग होता है.
सोच-समझ कर बनाएं पोर्टफोलियो
सवाल ये भी उठते हैं कि क्या क्रिप्टो और स्टॉक में कोई सीधा संबंध है? जानकार बताते हैं कि सीधा संबंध नहीं है बल्कि ऐसा देखा जाता है कि जब क्रिप्टो का बाजार गिरता है तो स्टॉक चढ़ता है. यह भी जानना होगा कि स्टॉक की तुलना में क्रिप्टो के बाजार में ज्यादा उथल-पुथल होती है. क्रिप्टो जब चढ़ता है तो लगातार उसके भाव चढ़ते हैं और जब गिरता है तो लगातार दाम गिरते हैं. स्टॉक से इसका सीधा संबंध नहीं है. इसलिए जब भी अपना पोर्टफोलिया बनाएं, यह सोच कर बनाएं कि क्रिप्टो में निवेश कर रहे हैं तो भारी उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहना चाहिए.
फीचर आर्टिकल: क्रिप्टो मार्केट बनाम स्टॉक मार्केट; दोनों ही मार्केट के अपने अपने फायदे-नुकसान
क्या मुझे क्रिप्टो मार्केट मैं इन्वेस्ट करना चाहिए? क्या क्रिप्टो मार्केट शेयर मार्केट से ज्यादा विश्वसनीय है? और इसी तरह के ढेरों सवालों की सूची है जो हम में से अधिकांश लोगों के मन में हैं और जिनका उत्तर हम चाहते हैं। क्रिप्टो मार्केट और स्टॉक मार्केट दोनों ही मार्केट के अपने अपने फायदे-नुकसान हैं, लेकिन इससे पहले कि आप इनमें से किसी में निवेश करें, आपको यह जानना होगा कि आखिर ये दोनों मार्केट क्या हैं; इन दोनों में क्या समानताएं और क्या अंतर हैं, वे कौन सी बातें हैं जो उनकी कीमतों को और मार्केट में प्रवेश को तय करती हैं।
मुझे कहां निवेश करना चाहिए – क्रिप्टो या शेयर?
स्मार्ट निवेशक वही है जो इस बात को बखूबी जानता है कि वह किसमें निवेश कर रहा है और उसके पास अपने निवेश से संबंधित ठोस जानकारी होनी चाहिए। निवेश के जोखिम और पुरस्कार को पहले से आंकना उसकी सफलता की कुंजी है। किसी निवेशक के प्राथमिक लक्ष्यों में से एक अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाना होता है; अपने पोर्टफोलियो में क्रिप्टो और स्टॉक को शामिल करने से आपका पोर्टफोलियो मजबूत होता है।
क्रिप्टो में निवेश करने के लिए आपके पास बड़ा बैंक-बैलेंस होना जरूरी नहीं है। देश के सबसे सरल क्रिप्टो एप -कॉइन स्विच कुबेर में 80 से ज्यादा क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने के लिए बस 100 रुपए से शुरुआत कर सकते हैं। क्रिप्टो करेंसी डिजिटल डीसेंट्रलाइज एसेट होती हैं जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी द्वारा संचालित होती हैं और उनमें किसी सेंट्रल अथॉरिटी का दखल नहीं होता। सरल शब्दों में कहें तो आप अपने बॉस खुद होते हैं!
वहीं शेयर में निवेश किसी बिजनेस में हिस्सेदारी होता है। सरल शब्दों में कहें तो, जब आप किसी कंपनी में हिस्सेदारी खरीदते हैं तो, आप उस कंपनी की एसेट में एक शेयरहोल्डर हो जाते हैं और आप उस कंपनी द्वारा बिजनेस में उठाए जाने वाले नफे-नुकसान में हिस्सेदार होते हैं।
शेयर से किस तरह अलग है क्रिप्टो?
क्रिप्टोकरेंसी आईसीओ द्वारा जारी होती हैं या डायरेक्ट एक्सचेंज लिस्टिंग होती है जबकि शेयर आईपीओ के जरिए जारी होते हैं। क्रिप्टो की कीमतों पर मुख्य रूप से मार्केट के सप्लाई और डिमांड के मीट्रिक्स का असर होता है जबकि शेयरों पर उनके फंडामेंटल और अन्य मैक्रो इकोनॉमिक कारकों का असर होता है।
क्रिप्टोकरेंसी किसी मालिकाना हक का फायदा नहीं देतीं क्योंकि ये डिजिटल करेंसी हैं लेकिन शेयरों के जरिए आपकी किसी कंपनी में कुछ प्रतिशत तक हिस्सेदारी होती है। क्रिप्टोकरेंसी मार्केट सप्ताह में सातों दिन 24 घंटे और साल के 365 दिन काम करते हैं, यानी ये कभी भी बंद नहीं होते। लेकिन स्टॉक मार्केट सप्ताह में पांच दिन सीमित घंटों के लिए काम करता है और राष्ट्रीय और सार्वजनिक अवकाश पर बंद रहता है।
क्रिप्टोकरेंसी एक उतार-चढ़ाव वाला मार्केट है और किसी को भी इसमें उतनी स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो करेंसी में अंतर? ही राशि का निवेश करना चाहिए जितने का जोखिम वह ले सकता है। अपने पोर्टफोलियो में क्रिप्टोकरेंसी को शामिल करने से आपको निवेश की विविधता मिलती है। क्रिप्टो में निवेश से पहले आपको अपने स्तर पर भी रिसर्च कर लेनी चाहिए। क्रिप्टो से जुड़ा एक दिलचस्प तथ्य- यदि आपने क्रिप्टोकरेंसी में जनवरी 2020 में लगभग 7 लाख रुपए का निवेश किया होता तो वह दिसंबर 2021 तक 38 लाख रुपए हो गए होते।
Cryptocurrency Market और Stocks Market के बीच क्या अंतर है?
आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे Cryptocurrency Market और Stocks Market किसे कहते है और Difference Between Cryptocurrency Market and Stocks Market in Hindi की Cryptocurrency Market और Stocks Market में क्या अंतर है?
What are the main differences between cryptocurrencies and stocks in Hindi-क्रिप्टोकरेंसी और स्टॉक के बीच मुख्य अंतर क्या हैं?
Cryptocurrency Market और Stocks Market दोनों एक दूसरे से काफी अलग है। स्टॉक मार्केट एक long-established asset वर्ग हैं जो लंबी और छोटी अवधि के रिटर्न दोनों दे सकते हैं वही दूसरी और क्रिप्टो मार्किट एक नया वित्तीय साधन है जो उच्च मूल्य अस्थिरता और जोखिम के लिए प्रवण है।
क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंज और स्टॉक एक्सचेंज के बीच प्राथमिक अंतर है। एक स्टॉक एक्सचेंज कंपनी के शेयरों या शेयरों में ट्रेड करता है, जबकि एक क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंज क्रिप्टोकरेंसी (डिजिटल मुद्राओं), जैसे बिटकॉइन, एथेरियम और कई अन्य में ट्रेड करता है।
Cryptocurrency Market और Stocks Market में कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते है जिनको हम नीचे समझेंगे लेकिन उससे पहले हम Cryptocurrency Market और Stocks Market किसे कहते है इसको और अच्छे से समझ लेते है।
Conclusion
आज के इस पोस्ट में हमने जाना की Cryptocurrency Market और Stocks Market किसे कहते है और Difference Between Cryptocurrency Market and Stocks Market in Hindi की Cryptocurrency Market और Stocks Market में क्या अंतर है।
हालांकि क्रिप्टो और स्टॉक के बीच स्पष्ट अंतर हैं, लेकिन फिर भी कुछ समानताएं हैं। क्रिप्टो और स्टॉक दोनों ही वैध निवेश विकल्प हैं, और वे आपके पोर्टफोलियो में विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति कर सकते हैं।
भारत का डिजिटल रुपया क्रिप्टोकरेंसी से कितना अलग? जानिए कैसा होगा भविष्य का पैसा
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया है। लेकिन, सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी जैसा होगा? इसे किस तरह संचालित किया जाएगा?
डिजिटल रुपये (Digital Rupees) की सुगबुगाहट पिछले एक साल से थी, आखिरकार इसका पायलट प्रोजेक्ट 1 नवंबर से शुरू हो गया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया है। लेकिन, सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी जैसा होगा? इसे किस तरह संचालित किया जाएगा? आइए एक-एक करके जानते हैं कि भविष्य का पैसा कैसा होगा?
हाल के कुछ साल में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते प्रचलन की वजह से दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के सामने अपने देश की करेंसी को बचाए रखने का संकट भी धीरे-धीरे खड़ा हो रहा है। यही वजह है कि सभी देश अपने-अपने स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसीज को कोई रेगुलेट नहीं करता है इसलिए इसके जरिए टेरर फंडिंग की भी बात सामने आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसीज के संचालन को लेकर कई बार चिंता भी व्यक्त की है। इस साल बजट में सरकार की तरफ से जब डिजिटल रुपये का ऐलान हुआ तभी यह बात स्पष्ट हो गई थी कि भारत सरकार किसी प्रकार मौका क्रिप्टोकरेंसीज को नहीं देना स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो करेंसी में अंतर? चाहती है। तब रही-कही कसर क्रिप्टोकरेंसी पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगाकर पूरा कर दिया था। आइए जानते हैं जिस डिजिटल रुपये को भारत, क्रिप्टोकरेंसी के बराबर खड़ा करने की सोच रहा है वह है क्या? रिजर्व बैंक इसे रेगुलेट कैसे करेगा? इन सबके अलावा हम और आप जैसे आम आदमी इसका उपयोग कैसे कर पाएंगे।
क्या है डिजिटल रुपया?
अभी हम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी 100, 200 रुपये के नोट्स और सिक्के का उपयोग करते हैं। इसी का डिजिटल स्वरूप ही डिजिटल रुपया कहलाएगा। टेक्निकल भाषा में इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) भी कह सकते हैं। यानी रुपये का इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म, जिसका उपयोग हम बिना स्पर्श किए (कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन) करेंगे। बता दें, सरकार ने इसका ऐलान 2022 के बजट में किया था।
10 महीने में 900% से अधिक का रिटर्न, शेयरों के बंटवारे के साथ कंपनी देगी बोनस!
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपये में अंतर क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी को कोई भी रेगुलेट नहीं करता है। यह पूरा तरह से ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर निर्भर करता है। इसलिए यह लेन-देन के लिए आधिकारिक करेंसी नहीं माना जाती है। वहीं, डिजिटल रुपये को रिजर्व बैंक जारी करेगा। इसका संचालन पूरी तरह आरबीआई के हाथ में होगा और बैंक अपने ग्राहकों को इसे बांट सकते हैं।
एक-दूसरे को कैसे करेंगे ट्रांसफर
डिजिटल रुपये के रिटेल वर्जन यानी जिसका उपयोग हम और आप जैसे सामान्य लोग करेंगे वह टोकन आधारित हो सकता है। व्यक्तियों को रसीद भी दी जा सकती है (जैसे ई-मेल इत्यादि)। डिजिटल रुपये को ट्रांसफर करते वक्त पासवर्ड जैसे डीटेल्स की जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि यह पूरी तरह से प्रोग्राम्ड होगा तो इसलिए शुरुआती समय में इसे सेक्टर बेस्ड ही जारी किया जा सकता है। उदाहरण के रूप में खाद की सब्सिडी डिजिटल रुपये में ट्रांसफर की जाए।
क्या डिजिटल रुपये पर मिलेगा ब्याज?
नहीं, डिजिटल रुपये पर आरबीआई की तरफ से कोई भी ब्याज नहीं दिया जाएगा।
पैसे के लेन-देन पर रहेगी आरबीआई की नजर
जब हमें कोई नोट देता है तो किसी को पता नहीं होता है कि इससे पहले किस-किस के पास से यह पैसा गुजरा है। डिजिटल रुपये में ऐसा नहीं होगा। रिजर्व बैंक सभी पैसे का पता कर पाएगा कि यह किसके-किसके पास से गुजरा है। खासकर बड़े अमाउंट पर कड़ी नजर रहेगी।
बिना इंटरनेट के कर पाएंगे डिजिटल रुपये को ट्रांसफर?
रिजर्व बैंक डिजिटल रुपये के ऑफलाइन मोड पर काम कर रहा है। यानी जब कभी ये आम लोगों के उपयोग में आए तो वह इसका उपयोग ऑफलाइन भी कर पाएं।
1 नवंबर से पायलट प्रोजेक्ट शुरू
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा, 'डिजिटल रुपये (होलसेल ट्रांजैक्शन) का पहला पायलट परीक्षण एक नवंबर को शुरू होगा। इस टेस्टिंग के तहत सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन का निपटान किया जाएगा।' आरबीआई ने 'केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा' (central bank digital currency OR CBDC) लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डिजिटल रुपये का पायलट टेस्टिंग शुरू करने का फैसला किया है। थोक खंड (Wholesale Transactions) के लिए होने वाले इस परीक्षण में नौ बैंक शिरकत करेंगे। इन बैंकों की पहचान भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी के रूप में की गई है।
पहले दिन कैसा रहा रिस्पांस
मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार पहले दिन डिजिटल रुपये के पायलट प्रोजेक्ट में सेकेंड्री मार्केट गर्वमेंट बॉन्ड का ट्रांजैक्शन 2.75 अरब डॉलर रुपये का हुआ है। तीन सिक्योरिटीज में नए रूट से यह ट्रेड सेटल्ड हुआ है।
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