(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)
Mutual Funds are Subject to Market Risk
आपने Mutual Funds शब्द के साथ – साथ “Mutual Funds are Subject to Market Risk” यह शब्द भी सुना होगा। इसका हिंदी में में अर्थ होता है की “म्यूच्यूअल फंड्स, मार्केट रिस्क्स/जोखिम के अधीन होते हैं”। कोई भी म्यूचुअल फंड कई निवेशकों से पैसा इकट्ठा करता है और उन पैसों को Stocks, Bonds, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स और अन्य प्रकार के प्रतिभूतियों (Securities) में निवेश करता है। यहाँ, Market Risk का तात्पर्य — ऐसे जोखिम जो, बाजार की स्थितियों के कारण आपके द्वारा निवेश किये संभावित रूप से कम कर सकते है। इनमें से कुछ जोखिम — Equity Risk, Interest Rate Risk, Currency Risk और Commodity Risk।
म्यूचुअल फंड पर Disclaimer बताता है कि म्यूचुअल फंड द्वारा किए गए निवेश पूरी तरह से जोखिम मुक्त नहीं हैं और निवेश के सामने आने वाले सभी बाजार जोखिमों के अधीन हैं।
Market Risk क्या है?
बाजार जोखिम सभी प्रकार के निवेशों Market रिस्क क्या होता है में निहित जोखिम है जो बाजार की अस्थिर प्रकृति और सामान्य रूप से वैश्विक अर्थव्यवस्था के परिणामस्वरूप होता है। बाजार जोखिम केवल संभावना है कि बाजार या अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी, जिससे जारीकर्ता इकाई के परफॉरमेंस या फिर प्रोफिटेबिलिटी की परवाह किए बिना व्यक्तिगत निवेश का मूल्य कम हो जाएगा।
उदाहरण के लिए, 2008 के स्टॉक मार्केट क्रैश में, लगभग हर स्टॉक के मूल्य में गिरावट आई थी, इस तथ्य के बावजूद कि अधिकांश कंपनियों ने कुछ भी गलत नहीं किया था या किसी भी तरह से अपने संचालन में बदलाव नहीं किया था।
Types of Market Risk
बाजार जोखिम के कई घटक हैं जो विभिन्न प्रकार के निवेशों पर लागू होते हैं। बाजार जोखिम के सामान्य प्रकार हैं इक्विटी जोखिम, ब्याज दर जोखिम, ऋण जोखिम, मुद्रास्फीति जोखिम, सामाजिक-राजनीतिक जोखिम और देश जोखिम। कुछ प्रकार के निवेश कई प्रकार के बाजार जोखिम के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। म्यूचुअल फंड पर लागू होने Market रिस्क क्या होता है वाले बाजार जोखिम का प्रकार उसके पोर्टफोलियो में रखी गई संपत्ति पर निर्भर करता है।
इक्विटी जोखिम शेयर बाजार में निवेश पर लागू होता है और उस जोखिम को संदर्भित करता है जो शेयर बाजार में कीमतों में बदलाव एक व्यक्तिगत निवेश को कम मूल्यवान बना सकता है जब मालिक बेचना चाहता है। इस प्रकार का जोखिम स्टॉक फंड पर दोगुना लागू होता है। सबसे पहले, म्यूचुअल फंड के मूल्य में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे शेयरधारक निवेश का मूल्य कम हो सकता है। इसके अलावा, स्टॉक फंड का मूल्य पूरी तरह से शेयरों के पोर्टफोलियो के बाजार मूल्य पर निर्भर करता है, जो बदले में इक्विटी जोखिम के अधीन भी होते हैं। इक्विटी जोखिम संतुलित फंडों पर भी लागू होता है जिसमें स्टॉक निवेश शामिल होता है।इसे भी पढ़े : elss mutual funds meaning in hindi
Risk management rules and risk reward ratio kya hota hai
आप पैसा कमाने के लिए बिजनेस करते हैं तथा stock market में निवेश और ट्रेडिंग करते हैं इसलिए आप उसमे जो पैसा लगाते वह डूबे ना, इसके लिए आपको Risk Management सीखना चाहिए।आज की पोस्ट में, Stock market me risk management rules and risk reward retio kya hota hai ? इसके बारे में Market रिस्क क्या होता है बताया जायगा।
बहुत से ट्रेडर अपने अकाउंट साइज को देखे बिना ट्रेडिंग को उत्सुक रहते हैं तथा एक ट्रेड में ही बहुत ज्यादा पैसा कमाने की कामना करते हैं। इस प्रकार के ट्रेड को ट्रेडिंग नहीं Gambling कहते हैं।
यदि आप risk management rules के बिना ट्रेड करते हैं तो आप Gambling करते हैं। आप long-term return नहीं देखते अपने निवेश पर आप jackpot के चक्कर में रहते हैं। मनी मैनेजमेंट रूल्स केवल आपके मनी को प्रोटेक्ट ही नहीं करते बल्कि आपको लॉन्ग टर्म में काफी प्रॉफिट भी देते हैं। आपको बहुत ही अच्छा statistician होना चाहिए gambler नहीं तभी आप लम्बे समय में विनर बन सकते हैं तथा आपको मनी मैनेजमेंट रूल्स का सख्ती से पालन करना चाहिए।
पूंजीकरण (Capitalization) :
ये तो आप सभी जानते हैं कि पैसे से पैसा बनता है लेकिन ट्रेडिंग स्टार्ट करने से पहले आपका stock market के व्यवहार के बारे मे सीखना जरूरी है तथा आपको Risk management rules का सख्ती से पालन करना चाहिए जैसे -आपके ट्रेडिंग अकाउंट में 20,000रूपये हैं तथा आप एक ट्रेड में 2 % का रिस्क लेते हैं तो एक ट्रेड में लॉस होने पर आपके अकाउंट से चार सौ रूपये कम होगे तथा 10 Market रिस्क क्या होता है Market रिस्क क्या होता है % का रिस्क लेने पर 2000 रूपये कम होंगे। इस प्रकार आप 2 % और 10 % का रिस्क का अंतर समझ सकते हैं।
ब्रोकर रिटेल ट्रेडर को फंड भी उपलब्ध करवाते हैं जिसे मार्जिन मनी (margin money ) कहते हैं लेकिन आपको उससे जल्दबाजी में ट्रेडिंग स्टार्ट नहीं करनी चाहिए Market रिस्क क्या होता है क्योंकि इसमें रिस्क बहुत ज्यादा होता है इसमें आपको अपनी पोजीशन ना चाहते हुए भी कटनी पड़ सकती है। यदि आपके पास फिलहाल money नहीं है तो आपको मनी save करके, उसके बाद ही ट्रेडिंग शुरू करनी चाहिए। What is Stock Broker and Brokrage fee-in Hindi
Risk Reward Ratio:
रिस्क रिवार्ड रेश्यो वह पैरामीटर है जो ट्रेडर ट्रेड करते समय रिवर्ड के अनुपात में रिस्क भी उठता है। जैसे -कि यदि आप दो सौ रूपये का रिस्क उठाते हैं और चार सौ रूपये कमाना चाहते हैं तो इसे 1:2 का रिवार्ड रेश्यो कहते हैं। इसी प्रकार यदि आप पाँच सौ रूपये का रिस्क उठाते हैं तथा पन्द्रह सौ रूपये का रिवार्ड चाहते हैं तो इसे 1:3 का रिवार्ड रेश्यो कहते हैं।
मान लीजिये आप दस ट्रेड करते हैं तथा पाँच ट्रेड में प्रत्येक में एक हजार रूपये का नुकसान करते हैं तथा पाँच ट्रेड में प्रत्येक में तीन हजार रूपये का प्रॉफिट करते हैं प्रकार आप 50 % विनर रहते हैं तथा कुल मिलाकर पाँच ट्रेड में पांच हजार रूपये का नुकसान तथा 1500 हजार रूपये का प्रॉफिट कमाते हैं। इस प्रकार पॉँच हजार के लॉस को निकलकर भी आप दस हजार रूपये का प्रॉफिट कमाते हैं। इसमें 1:3 का रिस्क रिवार्ड रेश्यो है।
ट्रेडिंग के दौरान ट्रेडर को रिस्क कम और रिवार्ड ज्यादा का रेश्यो रखना चहिये तथा1:3 का रिवार्ड रेश्यो अच्छा रहता है, ज्यादा रिस्की ट्रेड को अवॉयड करना चाहिए। बहुत से अनुभवी ट्रेडर तभी ट्रेड करते हैं जब रिवार्ड रेश्यो 1:5 या इससे अधिक हो। हाई अच्छे रिस्क रिवार्ड रेश्यो के लिए ट्रेडर को इंतजार करना चाहिए तथ जब risk reward ratio अपने अनुकूल हो तभी ट्रेड करना चाहिए। इसी को risk management rules को फॉलो करना कहते हैं
यह सही है कि पैसे से पैसा बनता है, लेकिन आपको ट्रेडिंग स्टार्ट करने से पहले उस पर अच्छी तरह पकड़ बना लेनी चाहिए यानि कि अच्छी तरह सीख कर शुरुआत करनी चाहिए। आपको वो सभी कोशिश करनी चाहिए जिनसे आप अपने अकाउंट को प्रोटेक्ट कर सकते हैं। आपको अपने अकाउंट के स्मॉल पर्सेंटेज का ही रिस्क उठाना चाहिए जिससे आप लम्बे समय तक सर्वाइव कर सकें।
आशा है कि अब आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि Risk management rules and reward ratio kya hota hai . उम्मीद है आज की प्रेरणादायी पोस्ट आपको जरूर पसंद आयी होगी, ऐसी ही प्रेरणादायी पोस्ट पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर कीजिये।
2008 मार्केट क्रैश के सही-गलत सबक, कितना और कहां तक सही है शेयर बाजार में रिस्क लेना
नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। कुछ दिनों पहले मेरी नजर एक लेख पर पड़ी, जो 2009 के आखिर या 2010 की शुरुआत में लिखा गया था। इस लेख में उस पत्र के अंश थे, जो यूएस फंड मैनेजर सेथ क्लारमैन ने निवेशकों को लिखा था। यह पत्र उस सबक की बात करता है, जो 2008-2009 के ग्लोबल फाइनेंशियल क्रैश के दौरान मार्केट के ज्यादातर लोगों ने या तो कभी सीखे ही नहीं या जिन्हें भुला दिया। ऐसे 20 सबक हैं। इसके अलावा 10 सबक वो भी हैं जो गलत किस्म की सीख हैं, यानी झूठे सबक हैं।
इस पत्र की कुछ बातें भारत के इक्विटी इन्वेस्टर्स के लिए खासतौर पर बड़े काम की लगती है, न केवल आज के संदर्भ में बल्कि हमेशा के लिए। एक सबक कि यह कहीं नहीं लिखा है कि निवेशकों को अपना हरेक डालर संभावित मुनाफे में बदलने के लिए जुट जाना चाहिए। किसी संकट के आने पर कंजरवेटिव रहना अहम होता है। इससे लंबे समय तक निवेश का रवैया तय करने में मदद मिलती है। यही वजह है कि डाइवर्सिफिकेशन और एसेट एलोकेशन जैसे सिद्धांत हरेक निवेश के लिए मायने रखते हैं।
अनिश्चितता और रिस्क एक ही नहीं हैं
अगर आपको रिस्क लेने से परहेज नहीं है और आप आक्रामक तरीके से निवेश करना चाहते हैं, तो याद रखने वाली बात है कि ऐसे इन्वेस्टर जो मार्केट की स्थितियों को नजरअंदाज कर, रिस्क वाली शैली ही हमेशा अपनाए रहते हैं, वो शायद ही कभी अच्छा कर पाते हैं। चाहे जो हो, कुछ निवेश दूसरों के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित होते ही हैं, कुछ कम गिरते हैं और आसानी से रिकवर कर जाते हैं। सबसे जरूरी बात जो क्लारमैन कहते हैं, वो ये कि अगर आप Market रिस्क क्या होता है तब तक इंतजार करते हैं जब उनकी जरूरत होगी, तब बहुत देर हो जाएगी। एक और सबक यह कि रिस्क निवेश में अंतर्निहित नहीं है। ये हमेशा अदा किए दाम के परिप्रेक्ष्य में होता है। अनिश्चितता और रिस्क एक ही नहीं है। अगर अनिश्चितता बहुत बड़ी है जैसे 2008 का क्रैश, तब सेक्यूरिटीज के दाम कहीं कम हो जाते हैं। ऐसे में इन्वेस्टमेंट करने में रिस्क कम हो जाता है।
जितना ऊंचा दाम, रिस्क उतना ज्यादा
इसी Market रिस्क क्या होता है से जुड़ा एक और प्वाइंट है। आप तब जरूर खरीदें जब दाम नीचे जा रहे हों। जब दाम कम हो रहे होते हैं तो वाल्यूम कहीं ज्यादा होता है और खरीदारों के बीच प्रतिस्पर्धा भी काफी कम होती है।यहां, क्लारमैन एक प्रसिद्ध कहावत को आगे बढ़ा रहे हैं कि खरीदने का सही वक्त वही है जब सड़कों पर खून हो। किसी भी निवेश के लिए ये कहना सही ही रहेगा कि दाम जितना ऊंचा होगा, रिस्क उतना ज्यादा होगा। नतीजतन, प्राइस जितना कम होगा, उतना कम रिस्क। और जब मार्केट कमजोर पड़ने लगते हैं, तब रिस्क बढ़ने लगता है। मगर हेडलाइंस में हमेशा इसका उलटा ही क्यों दिखाई देता है? वो इसलिए, क्योंकि वो पूरी तरह से पंटर के लिए सोच रहे होते हैं न कि निवेशक के लिए।
अब एक गलत सबक की मिसाल, बुरी चीजें होती हैं, मगर बहुत बुरी चीजें नहीं होती। गिरावट में जरूर खरीदो, खासतौर पर सबसे कम क्वालिटी की सेक्यूरिटीज जब वो प्रेशर में हों, क्योंकि गिरावट जल्द ही उलट जाएगी। ये झूठा सबक, एक उलटबांसी की Market रिस्क क्या होता है तरह है। ये आपको पिछले सबक पर बहुत ज्यादा विश्वास करने से सावधान करता है। हां, ये सही है कि कम दाम का मतलब है कम रिस्क। मगर ये सिर्फ उन एसेट्स के लिए सही है जो पहले से अच्छे एसेट हों। क्योंकि सस्ता कबाड़, कबाड़ ही रहता है।
तो फिर ये क्यों कहते हैं कि म्यूचुअल फंड बाज़ार जोखिम के अधीन हैं?
ये सभी प्रतिभूतियां हालांकि 'बाज़ार' में ट्रेड होती हैं। कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंज द्वारा खरीदे व बेचे जाते हैं, जो पूंजी बाज़ार का हिस्सा होते हैं। इसी तरह से ऋण प्रपत्र जैसे सरकारी प्रतिभूतियां, स्टॉक एक्सचेंज या NDS कहे जाने वाले विशेषज्ञता सिस्टम के माध्यम से ट्रेड की जा सकती हैं। ये प्रतिभूतियों की खरीदारी व बिक्री के लिए बाज़ार की तरह काम करते हैं, जिसमें खरीदार और बेचने वाले विविध प्रकार के होते हैं। इसलिए खरीद व बिक्री की पूरी प्रक्रिया और मूल्य 'बाज़ार' द्वारा निर्धारित होती है।
किसी प्रतिभूति का मूल्य ‘बाज़ार शक्तियों’ पर निर्भर करता है और बाज़ार किसी समाचार या घटना पर, जिसमें कि बाज़ार की दिशा की पूर्व-जानकारी कठिन होती है, छोटी अवधि में किसी शेयर या प्रतिभूति के मूल्य का पूर्वानुमान असंभव होता है। इसकी दिशा को प्रभावित करने वाले बहुत से कारक व खिलाड़ी होते हैं।
Share Market Portfolio: अच्छे रिटर्न के लिए जरूरी है Strong Portfolio, जानें खास बातें
Share Market Portfolio अच्छा पोर्टफोलियो आपको शेयर मार्केट में आने वाले उतार चढ़ाव से बचाते हुए एक अच्छा रिटर्न प्रदान करता है। इस वजह से अपने पोर्टफोलियो का निर्माण हर निवेशक के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है।
नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। अपने पैसे का निवेश हर प्रोफेशनल के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। आज से कुछ सालों पहले तक युवा निवेश के लिए रियल एस्टेट व गोल्ड जैसे ट्रेडिशनल तरीकों पर ही केंद्रित थे। जानकारी के अभाव में अधिकतर युवा शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने से कतराते थे। हालांकि पिछले कुछ सालों में ये सोच बदली है और अब शेयर मार्केट में निवेश को लेकर युवाओं की रुचि काफी बढ़ गयी है। शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट से अच्छा रिटर्न पाने के लिए जरूरी है एक अच्छा पोर्टफोलियो बनाना। जिसके लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है।
क्या होता है पोर्टफोलियो
एक पोर्टफोलियो, किसी निवेशक द्वारा किये गये सभी निवेशों का संग्रह होता है। मान लीजिये आपने 10 कम्पनियों के शेयर खरीदे हैं। ऐसे में आपने किस कम्पनी में कितने पैसे लगाये हैं, उनका पूरा संग्रह या कलेक्शन आपका पोर्टफोलियो कहलाएगा। इसके द्वारा आप अपने इन्वेस्टमेंट की पूरी सूची को देख सकते हैं, साथ ही यहां पर आपको आपके पूरे निवेश पर होने वाले लाभ व हानि का भी पूरा ब्यौरा मिल जाता है।
अच्छा पोर्टफोलियो आपको शेयर मार्केट में आने वाले उतार चढ़ाव से बचाते हुए एक अच्छा रिटर्न प्रदान करता है। इस वजह से अपने पोर्टफोलियो का निर्माण हर निवेशक के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। एक अच्छे पोर्टफोलियो के बारे में एक कहावत काफी लोकप्रिय है कि Don’t put all your eggs in one basket. यानी कि कभी भी हमें अपना सारा पैसा किसी एक कम्पनी के शेयर में नहीं डालना चाहिये, फिर चाहे वो कम्पनी आपको कितना ही अच्छा रिटर्न क्यों न दें। शेयर मार्केट में आए दिन उतार चढाव आते रहते हैं। ऐसे में अगर आप एक ही सेक्टर की कम्पनी या एक ही कम्पनी में अपने पैसे डालते हैं तो उस सेक्टर में किसी भी कारण से आने वाली गिरावट पर आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में आपको एक डायवर्स पोर्टफोलियो बनाना चाहिए।
डायवर्स पोर्टफोलियो से कम होता है रिस्क
मान लेते हैं आपने ऑटो सेक्टर की अच्छी कम्पनियों में निवेश कर रखा है और आपको रिटर्न भी अच्छा मिल रहा है। ऐसे में किन्हीं कारणों से ऑटो सेक्टर में मंदी आ जाती है तो आपके सभी शेयर्स की वैल्यू गिर जाएगी व आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी इन्वेस्टमेंट को किसी एक सेक्टर की जगह पर कई सारे सेक्टर में करें। इससे इकोनॉमी के एक सेक्टर में आने वाली हलचल से आप बच जाएंगे। यानी कि अगर ऑटो सेक्टर नीचे जाता है तो भी अन्य सेक्टर आपको नुकसान से बचा सकेंगे। शेयर मार्केट में शेयरों की संख्या से ज्यादा सेक्टर्स व कम्पनियों की संख्या ज्यादा महत्वपूर्ण होती है।
साल में एक Market रिस्क क्या होता है या दो बार अपने पोर्टफोलियो को बैलेंस करते रहें। अक्सर ऐसा देखा गया है कि हमारे पोर्टफोलियो में कुछ शेयर्स उम्मीद से अच्छा रिटर्न देते हैं तो वहीं कुछ ऐसे शेयर्स भी होते हैं जो उम्मीद से कम रिटर्न देते हैं। ऐसे में अपने टार्गेट के अनुसार अपने पोर्टफोलियो को साल में एक या दो बार जरूर बैलेंस करते रहें। इसमें आपको सही समय पर अपने शेयर्स को बेचना, उन्हें खरीदना व ऐवरेजिंग करना जानना होगा।
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