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Why Kids Lie : बच्चे क्यों, कब और कैसे बोलते हैं झूठ? जानें कैसे पढ़ाएं ईमानदारी का पाठ

By: एजेंसी | Updated at : 15 Dec 2022 09:14 PM (IST)

child photo (image source social media)

Age-by-Age Guide to Lying : हाल ही में बच्चों के झूठ बोलने से जुड़े एक अध्ययन के तहत जब बच्चों से किसी खिलौने को चोरी छिपे देखने के बारे में पूछा गया तो उनमें से 40 प्रतिशत बच्चों ने खिलौने को देखने की बात कबूल की, हालांकि उन्होंने ऐसा नहीं किया था. जब इतने सारे बच्चों ने बिना किसी लाभ के झूठ बोला तो यह शरारत नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ है.

पोलैंड और कनाडा के शोधकर्ताओं ने 18 महीने की उम्र में बच्चों के आत्म-नियंत्रण (self control) का परीक्षण किया और उन्हें खिलौनों को न देखने के लिए कहा. उन्हीं 252 बच्चों का दो साल की उम्र में और फिर छह महीने बाद दोबारा परीक्षण किया गया. केवल 35 प्रतिशत प्रतिभागियों ने न देखने के अनुरोध की अवहेलना की, लेकिन 27 प्रतिशत बच्चों ने झूठा दावा किया कि जैसा उन्हें बताया गया था, उन्होंने वैसा ही किया.

दुनियाभर में महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले आता है ज्यादा गुस्सा, सर्वे में आया सामने

दुनियाभर में महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले आता है ज्यादा गुस्सा

दुनियाभर में महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले आता है ज्यादा गुस्सा

शताक्षी सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2022,
  • (Updated 11 दिसंबर 2022, 6:36 PM IST)

10 साल पहले एक समान था गुस्से का लेवल

दुनियाभर में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में गुस्सा बढ़ता जा रहा है, जो कि 10 साल पहले बराबर का होता था. वहीं, भारत की बात करें तो हमारे देश में महिलाओं का गुस्सा दुनिया के स्तर से दोगुना है. ये बातें एक ग्लोबल सर्वे में सामने आई हैं. पिछले एक दशक में लोगों के बदलते मानसिक हालात को जानने और उनकी भावनाएं समझने के लिए गैलप वर्ल्ड पोल ने 2012 से लेकर 2021 तक 150 देशों के 12 लाख लोगों सबसे हालिया प्रवृत्ति के साथ व्यापार पर एक सर्वे किया.

10 साल पहले एक समान था गुस्से का लेवल
इसमें पता चला है कि 10 साल पहले महिलाओं और पुरुषों में गुस्सा और तनाव का लेवल एक समान हुआ करता था, लेकिन बीते एक दशक में महिलाओं में तनाव ज्यादा बढ़ गया है और वो अब ज्यादा गुस्सा करने लगी हैं.

भारत-पाक की महिलाओं में दोगुना है गुस्सा
दुनियाभर में गुस्से का स्तर महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले 6% ज्यादा है. वहीं भारत और पाकिस्तान की महिलाओं में गुस्से का स्तर दुनिया से दोगुना है. यानी की 12 फीसदी है. भारत में जहां पुरुष में गुस्से का स्तर 27.8 फीसदी है, वहीं महिलाओं में गुस्से का लेवल 40.6% है.

गलवान, तवांग में भारतीय सेना ने जो बहादुरी दिखाई उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है : राजनाथ सिंह

गलवान, तवांग में भारतीय सेना ने जो बहादुरी दिखाई उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है : राजनाथ सिंह

रक्षामंत्री ने कहा, ‘‘समाज को सही दिशा में ले जाने की प्रक्रिया को ‘राजनीति’ कहा जाता है." (फाइल फोटो)

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि गलवान घाटी संघर्ष और अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हालिया गतिरोध के दौरान भारतीय सैनिकों ने जिस बहादुरी और साहस का प्रदर्शन किया, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है.

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भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) में एक कार्यक्रम के दौरान संबोधन में सिंह ने यह बयान दिया. सिंह ने कहा कि भारत विश्व के कल्याण और समृद्धि के लिए एक महाशक्ति बनने की इच्छा रखता है और इसका किसी भी देश की सबसे हालिया प्रवृत्ति के साथ व्यापार एक इंच भूमि पर कब्जा करने का कोई इरादा नहीं है. इस टिप्पणी को सीमाओं पर चीन के आक्रामक व्यवहार के संदर्भ में देखा जा रहा है.

सिंह ने सीमा विवाद को लेकर राहुल गांधी की टिप्पणी को लेकर भी परोक्ष रूप से उन पर निशाना साधा. एक दिन पहले कांग्रेस नेता ने सरकार पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन द्वारा उत्पन्न खतरे को कम करके आंकने का आरोप लगाया था.

सिंह ने कहा, ‘‘चाहे वह गलवान हो या तवांग, सशस्त्र बलों ने जिस तरह से बहादुरी और वीरता का प्रदर्शन किया, उसके लिए उनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए, वह कम है.''

उन्होंने कहा, ‘‘हमने विपक्ष के किसी भी नेता की मंशा पर कभी सवाल नहीं उठाया, हमने केवल नीतियों के आधार पर बहस की है. राजनीति सच्चाई पर आधारित होनी चाहिए. लंबे समय तक झूठ के आधार पर राजनीति नहीं की जा सकती है.''

2023 में आपके फ्रीलांस करियर को किकस्टार्ट करने के लिए शीर्ष तीन ऑनलाइन व्यापार उपकरण

वैश्विक गिग इकॉनमी बढ़ रही है और अधिक से अधिक लोग अपने खुद के बॉस बनना चाहते हैं, फ्रीलांस काम बढ़ रहा है। प्रवृत्ति बताती है कि युवा लोग अपने लिए काम करना पसंद करेंगे या चुनेंगे कि वे किसके साथ काम करें।

2027 तक, यूएस कार्यबल का 52% है अपेक्षित गिग इकॉनमी के भीतर काम करने के लिए।

माल्टा ने हाल ही में एक खानाबदोश निवास परमिट पेश करने के साथ, हमने तीन ऐप सूचीबद्ध करने का फैसला किया है जो आपके फ्रीलांस व्यवसाय को आगे बढ़ाने और नकदी में रोलिंग शुरू करने में आपकी सहायता करेंगे।

Revolancer के CEO Karl Swanepoel (सामने और बीच में चित्र में) अपनी नेतृत्व टीम के साथ।

Revolancer एक फ्रीलांस मार्केटप्लेस है जो महत्वाकांक्षी व्यवसायों को कुशल फ्रीलांसरों से जोड़ता है। वे एआई-संचालित गुणवत्ता नियंत्रण का उपयोग करते हैं, जो फ्रीलांसर फीस को कम करता है, और हमारे ग्राहकों को गुणवत्ता और मूल्य दोनों से समझौता किए बिना लाता है।

आगे पढ़िए: देखें: गर्भपात का विकल्प नहीं होना चाहिए भले ही बच्चा जन्म के ठीक बाद मर जाए, माल्टीज़ प्रो-लाइफ एक्टिविस्ट जोर देते हैं

ड्रू ग्लासगो, स्कॉटलैंड से है। वह खेल, संगीत, करंट अफेयर्स, उपभोक्ता संस्कृति और व्यंग्यपूर्ण राय लेखन के बारे में भावुक है। उनकी पृष्ठभूमि सामरिक संचार, पीआर खाता प्रबंधन और वाणिज्यिक विकास से लेकर है। उसे नीचे इंस्टाग्राम पर फॉलो करें।

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समस्या मॉडल में है

जब शिक्षा ज्ञान-विज्ञान का स्रोत ना रह कर विशुद्ध रूप से बिजनेस बन जाती है और समाज भी उसे उसी रूप में देखने लगता है, तब शिक्षा के गोरखधंधे का फैलना कोई अस्वाभाविक बात नहीं होती। एक कंपनी जब शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों को नौकरी से हटा कर उसी समय करोड़ों रुपये में ब्रांड अंबेसडर से करार करती हो, तो उसके मॉडल में समस्या है, यह बात खुद ही सबको समझ में आ जानी चाहिए। लेकिन ऐसा हुआ नहीं है। अब एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑनलाइन लर्निंग उपलब्ध करवाने वाली कंपनी बायजू’स के खिलाफ हजारों शिकायतें आ रही हैं। हालांकि 75 लाख ग्राहकों वाली इस कंपनी ने उस पर लगाए गए आरोपों का खंडन किया है, लेकिन ऐसे लोग सामने आए हैं, जिन्होंने कहा है कि कंपनी ने उन्हें धोखा दिया गया। पहले सोशल मीडिया और कंज्यूमर वेबसाइटों पर सबसे हालिया प्रवृत्ति के साथ व्यापार सबसे हालिया प्रवृत्ति के साथ व्यापार कंपनी के खिलाफ शिकायतें आ रही थीं। अब समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बायजू’स के 22 ग्राहकों से बात कर एक रिपोर्ट पेश की है।

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