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Tax on Cryptocurrency

बिटकॉइन कैसे काम करता है

बिटकॉइन एक डिजिटल मुद्रा है. यह किसी बैंक या सरकार से नहीं बिटकॉइन और मुद्रा में फर्क जुड़ी है और इसे बिना पहचान जाहिर किए खर्च किया जा सकता है. बिटकॉइन के इन सिक्कों को यूजर बनाते हैं. इसके लिए उन्हें इनको "माइन" करना पड़ता है. "बिटकॉइन और मुद्रा में फर्क माइन" के लिए उन्हें गणना करने की क्षमता देनी होती है और इसके बदले में उन्हें बिटकॉइन मिलते हैं. बिटकॉइन के सिक्कों को शेयर बाजारों में अमेरिकी डॉलर और दूसरी मुद्राओं के बदले खरीदा भी जा सकता है. कुछ कारोबार में बिटकॉइन मुद्रा के रूप में इस्तेमाल होती है हालांकि बीते कुछ सालों में इसकी लोकप्रियता ठहरी हुई है.

तस्वीर: picture-alliance/empics/D. Lipinski

बिटकॉइन के साथ क्या हुआ है

दिसंबर 2017 में बिटकॉइन फ्यूचर को बिटकॉइन और मुद्रा में फर्क अमेरिकी शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट में कारोबार की इजाजत मिली. शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज और शिकागो बोर्ड ऑप ट्रेड ने इनकी खरीद बिक्री को मंजूरी दी थी. बिटकॉइन को लेकर दिलचस्पी इतनी ज्यादा थी कि कारोबार की अनुमति मिलते ही इसकी कीमतों में भारी उछाल आया. 2017 के शुरुआत में इस मुद्रा की कीमत 1000 डॉलर थी जो साल के आखिर में बढ़ कर 19,783 तक पहुंच गई.

हालांकि कारोबार शुरू होने के बाद बिटकॉइन फ्यूचर अगले कुछ महीनों में तेजी से नीचे आया. एक साल बाद ही इसकी कीमत घट कर 4000 डॉलर पर चली गी. निवेशकों और बिटकॉइन में दिलचस्पी रखने वालों ने बताया कि 2017 में आए उछाल की बड़ी वजहें सट्टेबाजी और मीडिया का आकर्षण थे.

अभी बिटकॉइन का क्या मोल है

कॉइनबेस के मुताबिक एक बिटकॉइन की कीमत लगभग 20,700 डॉलर है. कॉइनबेस एक प्रमुख डिजिटल करेंसी एक्सचेंज है जो दूसरे टोकन और मुद्राओं का भी कारोबार करती है. हालांकि बिटकॉइन की कीमत अस्थिर है और यह एक हफ्ते में ही सैकड़ों या हजारों डॉलरों का उतार चढ़ाव देखती है. एक महीने पहले इसकी कीमत 17,000 डॉलर थी और एक साल पहले 7000 डॉलर.

बिटकॉइन एक बहुत जोखिम वाला निवेश है और पारंपरिक निवेश के तरीकों जैसे कि शेयर या फिर बॉन्ड की तरह व्यवहार नहीं करता, जब तक कि खरीदार कई सालों तक इस मुद्रा को अपने पास ना रखे. उदाहरण के लिए एसोसिएटेड प्रेस ने 100 अमेरिकी डॉलर की कीमत के बिटकॉइन खरीदे ताकि वह इस मुद्रा पर नजर रख सके और व्यापार में इसके इस्तेमाल के बारे में खबर दे सके. इस पोर्टफोलियो का खर्च इस महीने जा कर अपने मूलधन पर पहुंचा है.

बिटकॉइन और मुद्रा में फर्क

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Crypto को बैन कर RBI लाएगा अपना 'बिटकॉइन', आखिरी कैसी होगी यह करेंसी, बिटकॉइन और मुद्रा में फर्क जानिए

बिटकॉइन@.

  • आरबीआई सेंट्रल बैंक की डिजिटल करेंसी को लेकर बहुत सचेत है।
  • भारतीय रिजर्व बैंक का सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) एक लीगल टेंडर होगा।
  • डिजिटल करेंसी लाने का आइडिया नया नहीं है।

दास ने कहा कि आरबीआई चरणबद्ध तरीके से देश में डिजिटल करेंसी लाने पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि आरबीआई सेंट्रल बैंक की डिजिटल करेंसी को लेकर बहुत सचेत है। यह इसका नया प्रोडक्ट है और इसमें किसी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं छोड़ी जा सकती।

दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है और भारत में भी इसके निवेशकों की संख्या लाखों में पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल में ही साल 2018 के आरबीआई के एक सर्कुलर को खारिज कर दिया था। इसमें आरबीआई ने बैंक और वित्तीय संस्थाओं पर क्रिप्टो करेंसी में डील करने या उसके लिए फाइनेंस उपलब्ध कराने से बैन लगा दिया था।

RBI के CBDC में क्या होगा खास?

भारतीय रिजर्व बैंक का सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) एक लीगल टेंडर होगा। सीबीडीसी के पीछे भारत के केंद्रीय बैंक का बैकअप होगा। यह बिटकॉइन और मुद्रा में फर्क आम मुद्रा की तरह ही होगा, लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में होगा। जैसे लोग सामान या सेवाओं के बदले करेंसी देते हैं, उसी तरह CBCD से भी आप लेनदेन कर सकेंगे। करेंसी नोट की तुलना में इसमें एक अंतर सिर्फ यह होगा कि यह डिजिटल फॉर्मेट में होगा।

डिजिटल करेंसी का आइडिया नया नहीं

यह भी कहा जा रहा बिटकॉइन और मुद्रा में फर्क है कि डिजिटल करेंसी लाने का आइडिया नया नहीं है। हाल में ही कई विशेषज्ञों बिटकॉइन और मुद्रा में फर्क बिटकॉइन और मुद्रा में फर्क ने कहा है कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी का आइडिया अमेरिकन अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित जेम्स टोबिन से लिया गया है। उन्होंने साल 1980 में पेमेंट करने के डिजिटल फॉर्मट का प्रस्ताव किया था।

क्रिप्टो और अधिकृत डिजिटल करेंसी में क्या फर्क है?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि रिजर्व बैंक डिजिटल करेंसी जारी करेगा। कोई भी मुद्रा 'करेंसी' तभी कहलाती है, जब केंद्रीय बैंक उसे जारी करता है। जो भी केंद्रीय बैंक के दायरे से बाहर है, उसे हम करेंसी नहीं कहेंगे। हम ऐसी 'करेंसी' पर टैक्स नहीं लगा रहे हैं, जिसे अभी जारी होना बाकी है। डिजिटल रुपये को RBI जारी करेगा, यही डिजिटल करेंसी कहलाएगी। इसके अलावा वर्चुअल डिजिटल दुनिया में जो कुछ है, वो संपत्तियां हैं। इसी तरह वित्त सचिव टीवी सोमनाथन कहते हैं कि भले ही क्रिप्टो पर टैक्स लेने बिटकॉइन और मुद्रा में फर्क का नियम बना है, तब भी ये वैध मुद्रा नहीं होगी।
आसान भाषा में कहें तो क्रिप्टोकरेंसी पर किसी भी देश के केंद्रीय बैंक का नियंत्रण नहीं है। वहीं, बिटकॉइन और मुद्रा में फर्क भारत में जारी होने वाली डिजिटल करेंसी को भारतीय रिजर्व बैंक नियंत्रित करेगा।

तो क्या क्रिप्टो में किए पूरे निवेश पर टैक्स देना होगा?

ऐसा नहीं है। आपको केवल क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले मुनाफे पर टैक्स देना होगा। उदाहरण के लिए अगर आपने पांच हजार रुपये की क्रिप्टोकरेंसी खरीदी और उसे पांच हजार 500 रुपये में बेच दिया, तो आपको केवल 500 रुपये पर 30 फीसदी यानी 150 रुपये टैक्स देना होगा।

नहीं। वित्त मंत्री ने साफ कहा है कि जिसे क्रिप्टोकरेंसी मिलेगी उसे टैक्स देना होगा। यानी, अगर आप अपने किसी मित्र को एक बिटकॉइन गिफ्ट करेंगे तो उसे टैक्स देना होगा। हालांकि, अभी ये साफ नहीं है कि विरासत में मिली क्रिप्टोकरेंसी पर ये टैक्स लगेगा या नहीं। कुछ विशेषज्ञ कह रहे हैं कि यह नियम गिफ्ट टैक्स के तहत बिटकॉइन और मुद्रा में फर्क लगेगा। गिफ्ट टैक्स के नियम साफ हैं कि निकट रिश्तेदार यानी भाई-बहन को दिये तोहफे पर टैक्स नहीं चुकाना होता।

1% टीडीएस की बात भी तो कही गई है वो कैसे लगेगा?

वित्त मंत्री ने बजट पेश करने बाद की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि हर क्रिप्टो ट्रांजेक्शन पर 1% का टीडीएस लगेगा। ये टीडीएस ट्रांसफर करने वाले को देना होगा।

दरअसल, सरकार इतना टैक्स लगाकर कर क्रिप्टोकरेंसी में होने वाले निवेश को हतोत्साहित करना चाहती है। हालांकि, क्रिप्टो वर्ल्ड से जुड़े लोग सरकार के इस कदम को बिटकॉइन और मुद्रा में फर्क डिजिटल असेट को मुख्यधारा में शामिल करने के एक कदम के रूप में देख रहे हैं। वहीं, कॉइनस्विच के आशीष सिंघल इसे पूरे क्रिप्टो वर्ल्ड के लिए एक सकारात्मक कदम मानते हैं।

क्या मैं एक डिजिटल असेट में हुए नुकसान की भरपाई दूसरे से कर सकूंगा?

अगर इथेरियम में नुकसान हुआ, तो इसकी भरपाई बिटक्वाइन में हुए लाभ से नहीं कर सकेंगे। हर असेट यानी यूनिट अलग काम करेगी, उस पर हुए मुनाफे पर टैक्स लगेगा। नुकसान की भरपाई नहीं हो सकेगी।

नहीं। टैक्सेशन की दरें अगले वित्त वर्ष से लागू होगी। ऐसे में टैक्स से बचने के लिए 31 मार्च से पहले बड़े स्तर पर बिकवाली निकल सकती है। अगर ऐसा हुआ तो क्रिप्टो करेंसी में अस्थिरता आएगी। सरकार की ओर से क्रिप्टो करेंसी की वैधता को लेकर अब तक कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है और रिजर्व बैंक इसके खिलाफ है। ऐसे में वर्चुअल रुपये को लाकर क्रिप्टो को पूरी तरह बैन करने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। क्रिप्टो में निवेश पर अगर घाटा होता है तो इसकी कोई जवाबदारी सरकार की नहीं होगी।

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