आपने अखबारों में या न्यूज़ चैनल पर सुना होगा की Bull Market Kya Hota Hai या बेयर मार्किट (Bear Market Kya Hai). सुनने से ही समझ में आ रहा होगा की बुल और बेयर का मतलब क्या है, पर आज की पोस्ट में हम शेयर मार्केट की दुनिया में समझेँगे की बुल मार्केट (Bull Market) और बेयर मार्किट (Bear Market) शब्दों का प्रयोग कब और कहा किया जाता और इन शब्दों का शेयर मार्केट में क्या अर्थ है।
बुल मार्केट और बेयर मार्केट क्या है ।
बुल मार्केट (Bull Market)
Bull Market बाजार की वो वित्तीय स्थिति है जो कि निवेशक के आत्मविश्वास, आशावाद और सकारात्मक उम्मीदों को दर्शाता हे।
बुल मार्केट आम तौर पर शेयर बाजार से संबंधित होता है, लेकिन यह सभी वित्तीय बाजारों जैसे मुद्राओं, ब्रांडों, वस्तुओं आदि पर लागू होता है। बुल मार्केट के दौरान, अर्थव्यवस्था में सब कुछ आश्चर्यजनक रूप से ऊपर की और बढ़ता है, जैसे जीडीपी बढ़ना, नौकरी में वृद्धि, स्टॉक की बढ़ती कीमतें आदि।
सरल भाषा में अगर कहा जाये तो बुल मार्केट अक्सर शेयरों को ओवरवैल्यूएशन (Over Valuation) की ओर ले जाता हैं क्योंकि निवेशक अत्यधिक आशावादी होते हैं और मानते हैं कि स्टॉक हमेशा ऊपर जाएगा।
बेयर मार्केट (Bear Market)
Bull Market के विपरीत Bear Market है, जो आमतौर पर खराब अर्थव्यवस्था, कम नौकरियों, मंदी और शेयर की कीमतों में गिरावट को दर्शाता है । मंदी के बाजार के दौरान निवेशक का व्यवहार अत्यधिक निराशावादी होता हे। क्योंकि यह भालू बाजार कब समाप्त होगा उन्हें डर है कि स्टॉक नीचे और नीचे जाएगा।
बुल और बेयर मार्किट के उदाहरण
भारत का बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज इंडेक्स (Bombay Stock Exchange) (BSE) अप्रैल 2003 से जनवरी 2008 तक लगभग पांच साल तक Bull Market में रहा, क्योंकि यह 2,900 अंक से बढ़कर 21,000 अंक पर पहुंच गया।
भारत में Bear Market के उदाहरण हैं - 1992 और 1994 के शेयर बाजार क्रैश और 2000 के डॉटकॉम क्रैश।
इसके अलावा, 1930 के दशक की महामंदी अमेरिका में Bear Market का एक प्रसिद्ध उदाहरण है।
अन्य सभी बाजारों की तरह बुल बाजार या बेयर बाजार अंतहीन रूप से नहीं टिकता क्योंकि कोई भी बाजार हमेशा के लिए एक गति में एक जैसा नहीं रह सकता। इसके अलावा, बाजार में बदलते रुझानों की भविष्यवाणी करना मुश्किल है क्योंकि यह निवेशकों के मनोवैज्ञानिक प्रभावों और अटकलों से बहुत प्रभावित होता है ।
महत्वपूर्ण बिंदु
- एक बुल मार्केट हमेशा बाजार की बढ़ती हुई स्थिति को दर्शाता हे और बेयर मार्केट बाजार की गिरती हुई स्थिति को दर्शाता हे जहा पर बाजार में अधिकतर शेयर्स की कीमते घटने लगती है।
- बाजार में कुछ इन्वेस्टर्स बेयर मार्केट को पसंद करते है और बेयर मार्केट में शार्ट सेलिंग (Short Sell) कर के लाभ प्राप्त करते है पर शेयर मार्केट में अधिकतर इन्वेस्टर बुल मार्केट को सपोर्ट करते है। और अगर पिछले कुछ सालो का शेयर मार्केट का इतिहास देखा जाए तो यह आपको बुलिश (बढ़ता हुआ) ही दिखेगा।
- बेयर मार्केट इन्वेस्टमेंट (निवेश) करने के लिए घातक माना जाता है क्युकी इस दौरान शेयर्स के भावो में काफी उतार चढ़ाव आता है।
तो दोस्तों आज की हमारी पोस्ट में हमने समझा है की बुल मार्केट क्या होता है और बेयर मार्केट क्या होता है (Bull Market Kya Hota Hai & Bear Market Kya Hota Hai) और शेयर मार्किट में इन शब्दों का प्रयोग किस परिस्थिति के लिए किया जाता है। हम उम्मीद करते है दोस्तों आपको ये पोस्ट पसन्द आया होगा। और आपके शेयर मार्किट के सफर में ये शब्द मददगार रहे होँगे।
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- News18Hindi
- Last Updated : February 08, 2022, 21:30 IST
नई दिल्ली. दिग्गज निवेशक शंकर शर्मा (Shankar Sharma) ने मंगलवार को बीएसई पर ईशान डाईज एंड केमिकल्स (ISHANCH) के 7,00,000 शेयर 121.71 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से खरीदे हैं. BSE के थोक सौदों (Bulk Deals) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. शंकर शर्मा द्वारा खरीदे गए शेयर 8.52 करोड़ रुपये के हैं. शंकर शर्मा को बाजार में बिग बेयर (Big Bear) के नाम से जाना जाता है.
द इकोनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, इंट्राडे के दौरान शेयर ने 142 रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई को छुआ. यह अंततः अपने पिछले बंद की तुलना में 13.99 प्रतिशत बढ़कर 138.50 रुपये पर बंद हुआ. इस कीमत पर इस स्टॉक की मार्केट वेल्यू 221 करोड़ रुपये रही. इसका कारोबार 12 महीने के पीई 14.94 गुना पर हुआ. मंगलवार को स्टॉक में 30 लाख से ज्यादा की वॉल्यूम देखी गई, जोकि पिछले 20 दिनों (मंगलवार को छोड़कर) में 77 हजार प्रतिदिन थी.
ये हैं शेयरहोल्डिंग के ताजा आंकड़े
ताजा यह भालू बाजार कब समाप्त होगा शेयरहोल्डिंग आंकड़ों के अनुसार, इस स्पेशियलिटी केमिकल फर्म के प्रमुख शेयरधारकों में शंकर शर्मा नहीं थे. 31 दिसंबर तक कंपनी में प्रमोटरों की 58.52 फीसदी हिस्सेदारी थी. कोई संस्थागत होल्डिंग नहीं थी, न ही म्यूचुअल फंड और न ही विदेशी हिस्सेदारी थी.
बता दें कि कंपनी सॉल्वेंट डाइज़ (Solvent Dyes) बनाती है, जो आयनित (Ionise) नहीं होती है. सॉल्वेंट पिगमेंट का यह गुण इसे ट्राइग्लिसराइड्स जैसे गैर-ध्रुवीय पदार्थों में घुलनशील बनाता है. कंपनी के सॉल्वेंट पिगमेंट को आमतौर पर आयसोक्रोम पिगमेंट कहा जाता है.
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