7. Paid up Capital:

दिल्ली में 5,000 से भी अधिक स्टार्टअप शुरू किए गए.

Multibagger : इस स्मालकैप स्टॉक ने 1 अप कैपिटल क्या हैं? लाख रुपये बना दिए 49 लाख, लगे सिर्फ 3 साल, अब आ रहा राइट इश्यू

  • bse live
  • nse live

Hazoor Multi Projects Shares : हजूर मल्टी प्रोजेक्ट्स लि. वैसे अप कैपिटल क्या हैं? तो महज 84 करोड़ रुपये की मार्केट वैल्यू के साथ एक स्मालकैप कंपनी है, लेकिन रिटर्न के मामले में बड़ी-बड़ी कंपनियों को पीछे छोड़ रही है। कंपनी ने पिछले तीन साल के दौरान 4,900 फीसदी रिटर्न दिया है और अब राइट इश्यू की वजह से सुर्खियों में है। कंपनी के बोर्ड ने राइट इश्यू जारी करने को मंजूरी दे दी है, जिनकी वैल्यू 45 करोड़ से ज्यादा नहीं होगी।

स्माल कैप (Small cap) कंपनी Hazoor Multi Projects Ltd (HMPL) कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी इंडस्ट्री में कारोबार करती है। सड़क निर्माण में कंपनी को विशेषज्ञता हासिल है। देश भर के हाईवे कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में एचएमपीएल के पास कई ग्राहक हैं।

Share Capital: Meaning, Types and Classes | Company

After reading this article you will learn about:- 1. Meaning of Share Capital 2. Types/Nature of Share Capital 3. Classes.

The term capital usually means a particular amount of money with which a business is started. In Indian Companies Act, it has been used in different senses in various parts of the Act, but in general it means the money subscribed pursuant to Memorandum of Association of the Company. Capital, in fact, represents the assets with which the undertaking is अप कैपिटल क्या हैं? carried on.

The sum total of nominal value of shares of a company is known as its share capital. In case of companies, the terms ‘capital’ and ‘share capital’ have been held to be synonymous. Capital to be stated in the Memorandum of Association and Articles of Association of the Company.

Types/Nature of Share Capital:

The share capital of company may be of the following types:

1. Registered, Authorised or Nominal Capital:

The Memorandum of Association of every company has to specify the amount of capital with which it wants to be registered. The capital so stated is called Registered, Authorized or अप कैपिटल क्या हैं? Nominal Capital. The Registered Capital is the maximum amount of share capital which a company can raise by way of public subscription.

2. Issued Capital:

The company may not issue the entire authorised capital at once. It goes अप कैपिटल क्या हैं? on raising the capital as and when the need for additional fund is felt. So, issued capital is that part of Authorised/Registered or Nominal Capital which is offered to the public for subscription in the form of shares.

Classes of Share Capital:

The share capital of a company limited by shares may be of the following two kinds:

1. Preference share capital, and

2. Equity share capital.

1. Preference Share Capital:

It means that part of the capital of the company which:

(a) Carries a preferential right as to payment of dividend at fixed rate during the life time of the company.

(b) Carries, on the winding up of the company, a preferential अप कैपिटल क्या हैं? right to be repaid the amount of the capital paid up.

2. Equity Share Capital:

It means with reference to a company, limited by shares, all share capital which is not preference share capital.

सरकार ने छोटी कंपनियों की परिभाषा बदली, जानिए पूंजी और टर्नओवर से जुड़े नए नियम क्या हैं?

नई दिल्ली। सरकार ने छोटी कंपनियों के पेड अप कैपिटल और टर्नओवर से जुड़े नियमों में बदलाव किया है। माना जा रहा है कि इन बदलावों से कंपनियों पर कंप्लायंस का दबाव घटेगा। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय, जो देश में कंपनी लॉ लागू करती है ने अपने ताजा फैसले में छोटी कंपनियों को नए सिरे से परिभाषित किया है। सरकार ऐसा करके इज ऑफ डूईंग बिजनेस को बढ़ावा देना चाहती है।

स्मॉल कंपनियों के पेडअप कैपिटल की अधिकतम सीमा दो करोड़ से बढ़ाकर चार करोड़ हुई
सरकार की ओर से किए गए अप कैपिटल क्या हैं? ताजा बदलावों के तहत छोटी कंपनियों के पेडअप कैपिटल के दायरे को अधितम दो करोड़ रुपये से बढ़ाकर अधिकतम चार करोड़ रुपये कर दिया गया है। सरकार के नए नियमों के मुताबिक छोटी कंपनियों के टर्नओवर की सीमा जो पहले अधिकतम 20 करोड़ रुपये थी उसे अब बढ़ाकर 40 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

Small Companies Definition: सरकार ने बदली छोटी कंपनियों की परिभाषा, बढ़ेगा अप कैपिटल क्या हैं? दायरा, होंगे ये बड़े फायदे

Small Companies Definition: सरकार ने बदली छोटी कंपनियों की परिभाषा, बढ़ेगा दायरा, होंगे ये बड़े फायदे

सरकार ने छोटी कंपनियों की परिभाषा को बदल कर कारोबार की सीमाओं को बढ़ा दिया है.

Ease of Doing Business: सरकार ने छोटी कंपनियों की परिभाषा को बदल कर कारोबार की सीमाओं को बढ़ा दिया है. इससे अब कई और कंपनियां भी छोटी कंपनियों के दायरे में आएंगी. इससे उन्हें कई तरह के नियमों में राहत मिलेगी और काम करने में आसानी होगी. सरकार ने आज छोटी कंपनियों के लिए के लिए पेड-अप कैपिटल और कारोबार सीमा में संशोधन किया है और सीमाएं बढ़ा दी हैं. जिससे अब और कंपनियां इसके दायरे में आ सकेंगी और उनका अनुपालन बोझ कम हो जाएगा.

नियमों में मिलती है छूट

बता दें कि छोटी कंपनियों को कई नियमों में छूट मिलती है. नई सीमा के बाद कई और कंपनियों अप कैपिटल क्या हैं? को इस छूट का लाभ मिलेगा. सरकार काफी समय से कारोबारी सुगमता पर जोर बढ़ा रही है. परिभाषा में बदलाव इसी दिशा में उठाया गया कदम है. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कारोबार करने में सुगमता को और बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह बदलाव किया है.

कुछ नियमों में संशोधन करते हुए छोटी कंपनियों के लिए चुकता पूंजी की सीमा को मौजूदा “2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” से बढ़ाकर “4 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” कर दिया गया है. वहीं कारोबार को “20 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” से बदलकर “40 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” कर दिया गया है. नई परिभाषा आने से अब अधिक संख्या में कंपनियां ‘छोटी कंपनी’ की श्रेणी में आ जाएंगी.

India vs England: क्या भारत-पाकिस्तान के बीच होगा फाइनल? आज होगा फैसला, T-20 वर्ल्‍ड कप से जुड़ी पूरी डिटेल

इस कटेगिरी में क्‍या हैं बेनेफिट

मंत्रालय के मुताबिक अप कैपिटल क्या हैं? छोटी कंपनियों को वित्तीय लेखा-जोखा के अंग के रूप में नकदी प्रवाह का लेखा-जोखा तैयार करने की जरूरत नहीं होती है.उन्हें लेखा परीक्षक के अनिवार्य रोटेशन की जरूरत भी नहीं होती है. सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार छोटी कंपनी के लेखा-परीक्षक के लिए जरूरी नहीं रहा कि वह आंतरिक वित्तीय नियंत्रणों के औचित्य पर रिपोर्ट तथा अपनी रिपोर्ट में वित्तीय नियंत्रण की संचालन क्षमता प्रस्तुत करे. इसके अलावा इस श्रेणी की कंपनियों के निदेशक मंडल की बैठक वर्ष में केवल दो बार की जा सकती है.

‘छोटी कंपनी’ श्रेणी की इकाइयों को मिलने वाले अन्य लाभ यह हैं कि कंपनी के वार्षिक रिटर्न पर कंपनी सेक्रटेरी हस्ताक्षर कर सकता है. कंपनी सेक्रेटरी के न होने पर कंपनी का निदेशक हस्ताक्षर कर सकता है. इसके अलावा छोटी कंपनियों के लिए जुर्माना राशि भी कम होती है. हाल के समय में सरकार ने व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं. इनमें कंपनी अधिनियम, 2013 और सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 के विभिन्न प्रावधानों को अपराध के वर्ग से निकालना शामिल हैं.

भारत के पास 277.77 अरब डॉलर के वैल्यू वाले कुल 83 यूनिकॉर्न

बेंगलुरु को पिछले कई सालों से भारत का स्टार्टअप कैपिटल कहा जाता रहा है. लेकिन इस साल के इकोनॉमिक सर्वे की मानें तो भारत की राजधानी दिल्ली ने बेंगलुरु से ये तमगा छीन लिया है. सोमवार को संसद में पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे 2021-22 के अनुसार, अप्रैल 2019 और दिसंबर 2021 के बीच बेंगलुरु में 4,514 नए स्टार्टअप बने, जबकि दिल्ली में 5,000 से भी अधिक स्टार्टअप शुरू किए गए. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी को बधाई देने के लिए ट्विटर पर लिखा, ''एक और उपलब्धि के लिए दिल्ली को बधाई! 5,000 स्टार्टअप के साथ दिल्ली ने स्टार्ट-अप कैपिटल के रूप में बेंगलुरु की जगह ले ली है.”

Congrats Delhi for yet another achievement

Delhi with 5,000 start-ups replaces Bengaluru as start-up capital: Economic Survey- The New Indian Express https://t.co/RDET4oEkVg

रेटिंग: 4.70
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 234