मैं इलेक्ट्रॉनिक मोड में शेयर कैसे खरीदता / बेचता हूँ?

आप अपने ब्रोकर और अपने डीपी के साथ समन्वय करके डिपॉजिटरी के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में सिक्योरिटीज खरीद और बेच सकते हैं ऐसे लेनदेन सरल और इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार तेज़ होंगे। इस तरह के लेनदेन के लिए भुगतान उसी तरह किया जाएगा जैसे शारीरिक प्रमाण पत्र के लिए किया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में खरीदी गई सिक्योरिटीज, भुगतान के दिन के अगले 2 दिनों में बिना ट्रांसफर डीड भरने या रेजिस्‍ट्रेसन के लिए कंपनी में आवेदन के हस्तांतरण कर दिया जाता है। ऐसे सभी लेनदेन को स्टांप ड्यूटी से मुक्त किया जाता है और तदनुसार कोई भी शेयर ट्रांसफर टिकटों की आवश्यकता नहीं है।

ऐसे लेनदेन बैंक के माध्यम से नहीं कराए जाते हैं और डेबिट / क्रेडिट सीधे डिपॉजिटरी सिस्टम में होते हैं। हालाँकि, लागू होने वाले रिकार्ड की तारीख / बुक समापन तिथि पर ऐसी प्रतिभूतियों वाले व्यक्ति को कॉर्पोरेट लाभ का भुगतान किया जाएगा।

डिजिटल रुपए की दिशा में तेजी से हो रहा है काम, रिजर्व बैंक ने बताया कब तक इसे लॉन्च किया जा सकता है

रिजर्व बैंक डिजिटल रूपी की दिशा में तेजी से काम कर रहा है. माना जा रहा है कि इसे साल 2023 के शुरू में लॉन्च किया जाएगा. बता दें कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी प्राइवेट डिजिटल करेंसी या क्रिप्टोकरेंसी की तरह नहीं है.

डिजिटल रुपए की दिशा में तेजी से हो रहा है काम, रिजर्व बैंक ने बताया कब तक इसे लॉन्च किया जा सकता है

भारतीय रिजर्व बैंक थोक और खुदरा क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (Central Bank Digital Currency) के क्रियान्वयन को लेकर काम कर रहा है. केंद्रीय बैंक (Reserve इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार Bank of India) के कार्यकारी निदेशक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) अजय कुमार चौधरी ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में सीबीडीसी पेश किये जाने की घोषणा की थी. इसके लिये वित्त विधेयक (Finance Bill) पारित होने के साथ आरबीआई कानून, 1934 में संबंधित धारा में जरूरी संशोधन किये गये. चौधरी ने कहा कि वित्त विधेयक के पारित होने के साथ रिजर्व बैंक पायलट आधार पर सीबीडीसी का क्रियान्वयन करने की स्थिति में आ गया है. उद्योग मंडल फिक्की के पीआईसीयूपी फिनटेक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, आरबीआई थोक और खुदरा खंड में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा के चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वयन की दिशा में काम कर रहा है.

सीबीडीसी डिजिटल मुद्रा (Digital rupees) है. हालांकि, इसकी निजी डिजिटल मुद्रा या क्रिप्टोकरेंसी से तुलना नहीं की जा सकती, जो पिछले एक दशक में तेजी से बढ़ी है. निजी डिजिटल मुद्रा का कोई जारीकर्ता नहीं है और किसी व्यक्ति के ऋण या देनदारियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है.

2023 के शुरू में हो सकता है लॉन्च

देश की आधिकारिक डिजिटल मुद्रा 2023 की शुरुआत में पेश किये जाने की संभावना है. यह वर्तमान में उपलब्ध निजी कंपनी द्वारा संचालित इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट की तरह होगी. सीबीडीसी सरकार समर्थित डिजिटल मुद्रा होगी. तेजी से विकसित हो रहे डिजिटल भुगतान क्षेत्र में वित्तीय प्रौद्योगिकी की भूमिका पर अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने नवोन्मेष इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को बढ़ावा दिया है और उसकी फिनटेक की तरफ से पेश किये जाने वाले नये-नये उत्पादों और सेवाओं से जुड़े लाभ और जोखिम पर कड़ी नजर है.

रिजर्व बैंक जल्दबाजी में नहीं है

बजट घोषणा के बाद ही गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी लॉन्च करने को लेकर जल्दबाजी में नहीं है. उन्होंने प्राइवेट डिजिटल करेंसी का विरोध करते हुए कहा था कि CBDC का वर्तमान फाइनेंशियल सिस्टम पर किसी तरह का असर नहीं होना चाहिए. यह उसे सपोर्ट करने वाला होना चाहिए.

प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के काट के रूप में RBI डिजिटल रुपया उतारेगा

डिजिटल रूपी को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी CBDC भी कह सकते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के काट के रूप में रिजर्व बैंक डिजिटल रूपी को लॉन्च कर रहा है. यह समझना जरूरी है कि डिजिटल रूपी एक डिजिटल करेंसी जरूर है, लेकिन यह क्रिप्टोकरेंसी नहीं है.

इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार

साल 1991-92 के आर्थिक सुधारों के बाद, भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा खास तौर पर आईटी और आईटीईएस के लिए बाहरी व्यापार में उदारीकरण, सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों के आयात पर शुल्क का उन्मूलन, देश के भीतर और बाहर दोनों ही प्रकार के निवेशों पर नियंत्रण में ढील और विदेशी मुद्रा एवं राजकोषीय उपायों ने भारत में इस क्षेत्र पनपने और देश को विश्व के अपतटीय सेवाओं में प्रमुख स्थान हासिल कनरे में सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण योगदान किया है। भारत सरकार द्वारा प्रमुख वित्तीय प्रोत्साहन निर्यातोन्मुख इकाईयों (ईओयू), सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (एसटीपी) और विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के लिए दिया गया है।

सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (एसटीपी)

देश से सॉफ्टवेयर निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, 1991 में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के तहत भारतीय सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क की स्थापना एक स्वायत्त संस्था के रूप में की गई थी। सॉफ्टवेयर निर्यात समुदाय के लिए एसटीपीआई द्वारा दी जाने वाली सेवाएं – सांविधिक सेवाएं, डाटा कम्युनिकेशन सर्वर, ऊष्मायान सुविधाएं (इनक्यूबेशन फैसिलिटीज), प्रशिक्षण औऱ वैल्यू एडेड सेवाएं, हैं। एसएमई और नई इकाईयों पर विशेष फोकस के साथ एसटीपीआई ने सॉफ्टवेयर निर्यात के प्रोत्साहन में महत्वपूर्ण विकासात्मक भूमिका निभाई है। एसटीपी योजना जो कि 100% निर्यातोन्मुख योजना है, सॉफ्टवेयर उद्योग के विकास को बढ़ावा देने में सफल रहा है। पिछले कुछ वर्षों में एसटीपी इकाईयों द्वारा किए गए निर्यात में वृद्धि हुई है।

एसटीपी योजना सॉफ्टवेयर कंपनियों को सुविधाजनक और सस्ते स्थानों पर परिचालन करने और व्यापार की जरूरत के लिहाज से उनकी निवेश औऱ विकास की योजना बनाने की अनुमति देता है। एसटीपी योजना के तहत 4000 से भी ज्यादा इकाई पंजीकृत हैं।

एसटीपी योजना के तहत मिलने वाले लाभः

  • आयात पर सीमा इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार शुल्क में पूर्ण छूट।
  • स्वदेशी खरीद पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क पर पूर्ण छूट।
  • C के खिलाफ स्वदेशी खरीद पर केंद्रीय बिक्री कर की प्रतिपूर्ति।
  • सभी प्रासंगिक उपकरण/ वस्तुएं जिसमें दूसरे से लिए गए (सेकेंड हैंड) उपकरण भी शामिल हैं, का आयात किया जा सकता है ( निषिद्ध वस्तुओं को छोड़कर)।
  • उपकरणों का आयात ऋण/ पट्टे पर भी किया जा सकता है।
  • ऑटोमेटिक रूट के जरिए 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है ।
  • निर्यात के एफओबी मूल्य इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार का 50% तक डीटीए में बिक्री की इजाजत है।
  • प्रशिक्षण के लिए आयातित कंप्यूटर का इस्तेमाल कुछ शर्तों के अधीन है।
  • पांच वर्षों में कंप्यूटर पर मूल्यह्रास त्वरित दरों में 100% तक की अनुमति है।

एसटीपीआई वेबसाइट पर जाने के लिए यहां क्लिक करें– http://www.stpi.in/ (बाहरी वेबसाइट नई विंडो में खुलेंगे) ।

विशेष आर्थिक क्षेत्र (स्पेशल इकोनॉमिक जोन्स– एसईजेड) योजना

साल 2005 में, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के वाणिज्य विभाग ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी एवं निर्यात के लिए बाधा मुक्त वातावरण प्रदान कनरे के उद्देश्य से विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) अधिनियम को अनियमित किया था।

सेज को इस प्रकार परिभाषित किया गया है, "विशेष रूप से सीमांकिंत शुल्क मुक्त परिवृत्त (एन्क्लेव) और व्यापार संचालन उद्देश्यों और कर्तव्यों एवं शुल्कों के प्रयोजन के लिए इसे विदेशी जमीन समझा जाएगा (सीमा शुल्क अधिकार क्षेत्र से बाहर)"। एसईजेड नियमों द्वारा समर्थित एसईजेड अधिनियम, 2005 10 फरवरी 2006 से प्रभावी हुआ। यह केंद्र और राज्य सरकारों से जुड़े मामलों पर बेहद सरल प्रक्रिया और एक सिंगल विंडो क्लियरेंस नीति प्रदान करता है। यह योजना बड़े उद्योगों के लिए आदर्श है और भविष्य के निर्यातों और रोजगार पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।

एसईजेड योजना एसईजेड इकाईयों को अप्रत्यक्ष करों के संबंध में एसटीपीआई के तहत आने वाली इकाईयों के मुकाबले परिचालन विवरणों में कुछ मामूली अंतर के साथ वैसी ही सुविधाएं प्रदान करता है। इसलिए यहां आयकर छुट्टी (इनकम टैक्स हॉलिडे) के संबंध में महत्वपूर्ण अंतर है। एसईजेड योजना में परिचालन शुरु होने की तारीख से आगले 15 वर्षों तक आयकर में बहुत छूट मिलती है। यहां पहले पांच वर्षों में निर्यात लाभों पर आयकर में 100% की छूट, अगले पांच वर्षों में 50% और फिर अगले पांच वर्षों में 50% की छूट दी जाती है जो विशेष भंडार में मुनाफे के हस्तांतरण के अधीन है।

एसईजेड नीति का उद्देश्य वैश्विक स्तर के व्यवसायों के लिए विश्व स्तरीय संरचनात्मक सुविधाएं, उपयोगिता और सेवाओं हेतु प्रतिस्पर्धी, सुविधाजनक और एकीकृत क्षेत्र (जोन) बनाना है। एसईजेड अधिनियम 2005 में निर्यात संवर्धन और संबंधित बुनियादी ढांचे के निर्माण में राज्य सरकारों की भूमिका पर गौर किया गया है। एसईजेड योजना की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैः

  • एसईजेड इकाईयों के विकास, संचालन और रख–रखाव के लिए शुल्क मुक्त निर्यात/ वस्तुओं की घरेलू खरीद।
  • एसईजेड इकाईयों के लिए पहले पांच वर्षों में निर्यात लाभों पर 100% आयकर छूट, अगले पांच वर्षों में 50% और उसके इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार बाद अगले पांच वर्षों में वापस जोत लाभ (प्लॉज्ड बैक प्रॉफिट्स) पर 50%।
  • केंद्रीय मुहर कर ( सेंट्रल सील टैक्स) से छूट।
  • सेवा कर से छूट।
  • केंद्रीय और राज्य स्तर की मंजूरी के लिए एकल खिड़की मंजूरी (सिंगल विंडो क्लियरेंस)।

इस योजना का भविष्य के निर्यातों और रोजगार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। करीब 235 आईटी– आईटीईएस विशेष एसईजेड को डीओसी ने अधिसूचित किया है।

डॉलर के मुकाबले रुपया पस्त, किसान से लेकर सोना खरीदने वाले भी होंगे त्रस्त

विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को रुपया अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 22 पैसे की गिरावट के साथ 76.16 प्रति डॉलर पर आ गया।बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशी पूंजी की लगातार निकासी और घरेलू शेयर.

डॉलर के मुकाबले रुपया पस्त, किसान से लेकर सोना खरीदने वाले भी होंगे त्रस्त

विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को रुपया अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 22 पैसे की गिरावट के साथ 76.16 प्रति डॉलर पर आ गया।बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशी पूंजी की लगातार निकासी और घरेलू शेयर बाजार में कमजोर रुख से भी घरेलू मुद्रा पर दबाव बढ़ा है। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 76.06 प्रति डॉलर पर खुला। कारोबार के दौरान रुपया ऊंचे में 75.99 और नीचे में 76.22 तक गया। अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव के मुकाबले 22 पैसे की गिरावट के साथ 76.16 के स्तर पर बंद हुआ। इस बीच, छह मुद्राओं की तुलना में डॉलर का रुख दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.27 प्रतिशत मजबूत हो कर 98.05 पर पहुंच गया।

कमजोरी का असर एक किसान से लेकर बड़े व्यापारी तक पर पड़ना तय है। सबसे पहले जानें इससे किन-किन क्षेत्रों पर बुरा असर पड़ेगा।

कच्चे तेल पर असर: इस क्षेत्र को रुपये की कमजोरी से सबसे ज्यादा नुकसान होता है, क्योंकि यह आयात किया जाता है। कच्चे तेल का आयात बिल में बढ़ोतरी होगी और विदेशी मुद्रा ज्यादा खर्च करना होगा।

कैपिटल गुड्स और इलेक्ट्रॉनिक सामान: रुपये की मजबूती से इस सेक्टर को भी राहत मिलती क्योंकि रुपये की मजबूती से भारत में सस्ते कैपिटल गुड्स मिलते हैं। वहीं रुपया कमजोर हो तो कैपिटल गुड्स के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र को भी नुकसान , क्योंकि समहंगे इलेक्ट्रॉनिक गु्ड्स आयात किए जा सकेंगे।

उर्वरक की कीमत बढ़ेगी: भारत बड़ी मात्रा में जरूरी उर्वरकों और रसायन का आयात करता है। रुपये की कमजोरी से यह भी महंगा होगा। आयात करने वालों को यह अधिक दाम में कम मिलेगा। इससे इस क्षेत्र को सीधानुकसान होगा। वहीं रुपये की कमजोरी का नकारात्मक असर जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर पर दिखाई देगा। इससे यह महंगा होगा और आयात पर भी इसका असर आएगा।

बता दें विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी और घरेलू शेयर बाजार में कमजोर रुख से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 76.06 पर खुला। फिर यह मामूली बढ़त के साथ 76.05 पर आ गया जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 11 पैसे की गिरावट को दर्शाता है। रुपया पिछले सत्र में 75.94 पर बंद हुआ था।

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A currency future is a futures contract to exchange one currency for another at a specified date in the future at a price (exchange rate) that is fixed on the purchase date.

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